राजकीय महाविद्यालय तालेड़ा में सप्ताह भर से आयोजित किए जा रहे खेलकूद और सांस्कृतिक सप्ताह समारोह का आज समापन हुआ। इस अवसर पर अहिल्या बाई होल्कर के आर्थिक क्षेत्र में योगदान पर भी चर्चा का आयोजन किया गया।

महाविद्यालय में गत सप्ताह से विभिन्न सांस्कृतिक एवं खेलकूद की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा था। इनका आरंभ आशु भाषण प्रतियोगिता से हुआ जिनमें विभिन्न विषयों पर विद्यार्थियों द्वारा विचार व्यक्त किए गए। अगले दिन एकल गायन, समूह गान में प्रतिभागियों ने भजन और देशभक्ति गीतों की प्रस्तुतियां दीं।

एकल नृत्य में रंगीलो राजस्थान थीम पर विभिन्न छात्राओं ने राजस्थानी गीतों पर नृत्य प्रस्तुत किए।

गुरूवार को छात्र वर्ग में कबड्डी, बॉलीवाल, और छात्रा वर्ग में कबड्डी, 100मीटर दौड़, नींबू रेस, लगड़ी टांग रेस, तीन टांग रेस का आयोजन किया गया।

समापन समारोह और पुरस्कार वितरण कार्यक्रम के दिन रंगोली बनाओ और समूह नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आरंभ खुशी मेहरा ने गणपती वंदन नृत्य और प्रिया कहार ने श्रीराम स्तुति नृत्य के साथ किया।

कार्यक्रम के अन्त में अहिल्या बाई होल्कर के आर्थिक सुधारों परे मुख्य अतिथि डॉ. एस.एल.नागौरी तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. अरविन्द कुमार सक्सेना ने चर्चा की।

डॉ. नागौरी ने कहा कि लोकमाता अहिल्या बाई उस समय के सभी शासकों में आर्थिक सुधारों की अग्रगामी थीं उन्होंने न सिर्फ मंदिर, बावड़ी,कुओं, किलों आदि का निर्माण करवाया बल्कि उन्होंने गरीबों के लिए अन्नसत्र, प्याऊ लगवाई। कृषि के सिंचाई व्यवस्था, कुटीर और लघु उद्योगों की स्थापना, पिछड़े वर्गों के लिए आर्थिक नीति स्थापित की।

वह सिर्फ धार्मिक थीं लेकिन अंधविश्वासी नहीं लेकिन उन्होंने जिस रामराज्य की स्थापना की वह मालवा के लिए किसी स्वर्णकाल से कम नहीं था।
डॉ. सक्सेना ने अहिल्याबाई होल्कर और बूंदी राज्य के संबंधों पर चर्चा करते हुए उनके किए गए कार्यों का विश्लेषण प्रस्तुत किया। उनकी इसस चर्चा से इतिहास के नवीन बिन्दुओं की जानकारी प्राप्त हुई।

इस अवसर पर प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के अन्त में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. ब्रजकिशोर शर्मा ने धन्यवाद दिया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह भी प्रदान किए गए। मंच संचालन सहायक आचार्य डॉ. नेहा प्रधान ने किया।

इस अवसर पर महाविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. सुलक्षणा शर्मा, डॉ ओम प्रकाश शर्मा, डॉ. अंजना जाटव, डॉ. कविता गजराना, भवानी शंकर मीणा, विशाल जांगिड़, विशाल वर्मा एवं अमन सेन ने सक्रिय सहयोग कर कार्यक्रम को सफल बनाया।

About The Author