आज दिनांक 23 मई 2025 को अर्थशास्त्र विभाग एवं राजनीति विज्ञान विभाग ने महाविद्यालय द्वारा गोद लिए गए ग्राम सभा टटोर में आउटरीच कार्यक्रम का आयोजन किया।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर मंजू कोगियाल ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से स्थानीय जनता में वृक्षारोपण एवं ऊर्जा संरक्षण के संबंध में जागरूकता आती है। जिससे समस्त समाज को लाभ होता है।
उन्होंने छात्र-छात्राओं से अपील करते हुए कहा कि उन्हें अपने-अपने गांव में इस मुहिम को फैलाना है एवं लोगों को वृक्षारोपण एवं ऊर्जा संरक्षण के संबंध में जागरूक करना है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष श्री परमानंद चौहान ने बताया कि सतत विकास के लिए ऊर्जा का कम से कम उपयोग एवं उसका संरक्षण अत्यधिक आवश्यक है।
जिस प्रकार से यातायात के साधन बढ़ रहे हैं इसके कारण वैश्विक तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा है जो जीवन के लिए खतरा है। हमें अपने भौतिक सुख सुविधाओं को कम करना होगा तथा भविष्य के लिए भी बचाना होगा ताकि भावी पीढ़ी को भी इन सुख सुविधाओं का लाभ मिल सके। कार्यक्रम में बिजली विभाग, नैनबाग के कर्मचारी श्री अरविंद एवं श्री सतेन्द्र उपस्थित रहे।
श्री अरविंद कुमार ने बताया कि बिजली विभाग पर बिजली खर्च का बोझ बढ़ रहा है अनावश्यक बल्ब अथवा पंखा ऑन नहीं रखना चाहिए। क्योंकि इससे बिजली बिल का बोझ भी बढ़ता है, और जरूरतमंद तक बिजली नहीं पहुंच पाती है।
उन्होंने ऊर्जा संरक्षण के संबंध में छात्र-छात्राओ एवं ग्रामीणों को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि विद्युत की मांग प्रतिदिन बढ़ती जा रही है क्योंकि जनसंख्या बढ़ रही है, इसलिए आपूर्ति करना एक बड़ी समस्या बन रही है। उन्होंने ग्रामीणों एवं छात्र-छात्राओं से अपील करते हुए कहा कि उन्हें कम विद्युत खर्च करना चाहिए तथा जरूरत ना होने पर विद्युत उपकरणों को बंद रखना चाहिए, जिससे कि विद्युत आपूर्ति प्रत्येक ईकाई को हो सके।
राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉo मधु बाला जुवांठा ने वर्तमान समय में पर्यावरण संरक्षण को सबसे बड़ी जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि जिस तरह से तापमान में वृद्धि हो रही है इसे आपदा के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि सभी लोगों को वृक्षारोपण के लिए मुहीम चलाना चाहिए। डॉo मधु बाला जुवांठा ने बताया कि जिस तरह से उत्तराखंड के जंगलों में आग लगाई जा रही है वह तापमान बढ़ने का एक बहुत बड़ा कारण है तथा इसके समाधान हेतु हमें पर्यावरण संरक्षण तथा हरियाली पर विशेष ध्यान देना होगा।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हेतु पारिस्थितिकी तंत्र का मजबूत होना अत्यंत आवश्यक है और इसलिए हमें वनाग्नि से हमारे जंगलों को बचाना होगा अधिक से अधिक वृक्षारोपण एवं जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाना होगा जिससे कि भावी पीढ़ी को सतत विकास का लाभ दिया जा सके। कार्यक्रम मे श्रीमती रीना, उपस्थित रहे इसके अलावा बड़ी संख्या में ग्रामीण एवं महाविद्यालय की छात्र-छात्राओ ने हिस्सा लिया।