राजकीय महाविद्यालय नानकमत्ता में विश्व पर्यावरण दिवस पर स्वच्छता अभियान व शपथ ग्रहण कार्यक्रम आयोजित

आज दिनांक 5 जून 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राजकीय महाविद्यालय, नानकमत्ता में राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) इकाई के तत्वावधान में एक व्यापक स्वच्छता एवं पर्यावरण जागरूकता अभियान आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों, प्राध्यापकों एवं समाज को पर्यावरणीय चेतना, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण तथा स्थायी विकास के सिद्धांतों के प्रति सजग करना था।

कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. अंजला दुर्गापाल द्वारा विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाकर किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा—

“पर्यावरण संरक्षण केवल एक दिन की क्रियाविधि नहीं, बल्कि यह जीवनशैली में बदलाव की मांग करता है। हमें न केवल प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए, बल्कि पृथ्वी के प्रति अपनी सामूहिक जिम्मेदारियों को भी समझना चाहिए। स्वच्छता, हरियाली और जल-संरक्षण जैसे प्रयास हमें सतत विकास की दिशा में अग्रसर करते हैं।”

उनका कहना था कि ”पर्यावरण संरक्षण आज केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है। यदि हम स्वच्छता, हरियाली और प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग की दिशा में अभी कदम नहीं उठाते, तो भावी पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित एवं संतुलित जीवन की कल्पना अधूरी रह जाएगी।”

इस अवसर पर महाविद्यालय नानकमत्ता के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. विद्या शंकर शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा—

“महाविद्यालय परिसरों को ‘ग्रीन कैंपस’ में बदलना आज की महती आवश्यकता है। छात्र जीवन में पर्यावरणीय अनुशासन को समावेशित करना भविष्य की सामाजिक संरचना को अधिक जागरूक और उत्तरदायी बनाएगा।”

इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रवि जोशी ने कहा—

“NSS का मूल उद्देश्य समाज में सेवा भावना का प्रसार करना है। पर्यावरणीय सरोकारों के प्रति स्वयंसेवकों की सक्रियता इस बात का प्रतीक है कि युवा पीढ़ी पर्यावरण संरक्षण को एक नैतिक और सामाजिक उत्तरदायित्व के रूप में आत्मसात कर रही है। आज के अभियान में विद्यार्थियों ने परिसर की साफ-सफाई के साथ-साथ वृक्षों की सुरक्षा, प्लास्टिक उन्मूलन तथा कचरा पृथक्करण जैसे मुद्दों पर भी संकल्प लिया।”

इस अवसर पर महाविद्यालय नानकमत्ता के संस्कृत विभाग प्रभारी डॉ. उमेश जोशी ने भारतीय सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में पर्यावरण का महत्व रेखांकित करते हुए कहा—

“प्राचीन भारतीय दर्शन में प्रकृति को ‘माता’ के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। ‘पृथ्वीं शरणं गच्छामि’ का वैदिक भाव पर्यावरण के प्रति समर्पण का प्रतीक है। यदि हम इन मूल्यों को आधुनिक जीवन में उतारें, तो पर्यावरणीय संकटों से निपटना सहज हो जाएगा।”

इस अवसर पर महाविद्यालय नानकमत्ता की गणित विभाग प्रभारी डॉ. मीनाक्षी ने कहा—

“पर्यावरणीय संकट विशुद्ध रूप से मानवकृत समस्याएं हैं, जिनका समाधान वैज्ञानिक दृष्टिकोण, तर्कपूर्ण नीतियों एवं व्यवहारिक जीवनशैली में है। महाविद्यालय स्तर पर ऐसे आयोजनों से न केवल ज्ञान का संप्रेषण होता है, बल्कि विद्यार्थियों में समस्या समाधान की क्षमता भी विकसित होती है।”

आज के इस कार्यक्रम के अंतर्गत महाविद्यालय परिसर की समग्र सफाई, कचरा पृथक्करण, पौधों की देखभाल एवं प्लास्टिक के न्यूनतम उपयोग पर चर्चा की गई।

इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर अंजला दुर्गापाल, एन एस एस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रवि जोशी, वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. विद्या शंकर शर्मा, डॉ. निवेदिता अवस्थी, डॉ. ममता सुयाल, डॉ. चंपा टम्टा, डॉ. उमेश जोशी, डॉ. स्वाति लोहनी, डॉ. मंजुलता जोशी, डॉ. निशा परवीन, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. निशा आर्या, डॉ. आशा गढ़िया, महेश कन्याल, राम जगदीश सिंह, विपिन थापा, सुनील कुमार तथा उमेद कुमार, अमनदीप सिंह, किरन भट्ट, करन सिंह, सहित महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण तथा एन. एस. एस. के अधिकांश स्वयंसेवक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मीनाक्षी द्वारा किया गया।

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