जीतिन चावला, एनटीन्यूज़: वीर शहीद केसरी चंद राजकीय स्ना० महाविद्यालय,डाकपत्थर विकास नगर, देहरादून के अंतर्गत आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन सेल में आजादी के अमृत महोत्सव के तत्वाधान में ऑनलाइन विशेष व्याख्यान श्रृंखला के दशवें चरण में दसवें व्याख्यान में मुख्य वक्ता, डा चरण सिंह, अंग्रेजी विभाग, रा० महाविद्यालय, जोशीमठ द्वारा श्री औरोबिंदो का संदेश” विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर गोविंदराम सेमवाल द्वारा की गई। कार्यक्रम का संचालन डा माधुरी रावत द्वारा किया गया। कार्यक्रम संयोजक डा राकेश कुमार जोशी, समन्वयक डॉ. राकेश मोहन नौटियाल, आयोजन सचिव डॉ. दीप्ति बगवाड़ी, आयोजन समिति सदस्यों में डॉ आशाराम बिजल्वाण,डा कामना लोहनी,डॉ. नीलम ध्यानी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद बडोनी, डॉ. विनोद रावत,व डा अमित गुप्ता द्वारा व्याख्यान व्यवस्था देखी गई।
डॉ. चरण सिंह द्वारा बताया गया की अरविंद सच्ची शिक्षा उसी को मानते थे जो मनुष्य की अंतर्निहित शक्तियों का विकास कर सके। शिक्षा को मनुष्य की अनिवार्य आवश्यकता मानते हुए उन्होंने शिक्षा का उद्देश्य शरीर के समस्त अंगों का सामंजस्य पूर्ण विकास माना है।
मन को शिक्षित करने के उनके चार स्तर प्रमुख थे, जिनमें चित, मानस,बुद्धि और चरम विवेक था। श्री अरविंद उग्र राष्ट्रवादी थे ।वह उदारवादी ब्रिटिश शासन के कट्टर विरोधी थे। उन्होंने वंदे मातरम, कर्मयोगिन,नामक पत्रिकाओं का संपादन भी किया, जिसमें उन्होंने खुलकर क्रांतिकारी लेखों को छापा और जिसके परिणाम स्वरूप ब्रिटिश सरकार ने उन पर कई मुकदमे चलाए।
महर्षि योगी अरविंद एक महान संत,साधक, शिक्षा शास्त्री, राष्ट्रवादी, क्रांतिकारी विचारों के धनी, महान व्यक्तित्व में से एक थे। महृषि, विवेकानंद व दयानंद सरस्वती की तरह सामाजिक, धार्मिक, सुधार वादी आंदोलन के प्रणेता रहे हैं ।इसीलिए इन्हें योगी के नाम से भी जाना जाता है। अपने सिद्धांत और आदर्शों के लिए वे युगो युगो तक भारत वासियों के आदर्श बने रहेंगे।
व्याख्यान मे प्राध्यापक वर्ग मे डॉक्टर आशुतोष त्रिपाठी डा एम एस पंवार, डॉक्टर अरविंद अवस्थी डॉक्टर मुक्ता डंगवाल डा रोशन केस्टवाल, डॉ पूजा पालीवाल, डॉ निरंजन प्रजापति,डा रोहित शर्मा, डा दर्शन सिंह आदि , व छात्र-छात्रा वर्ग में राहुल,विकास, अंजना, सरोज, आदेश, गीतांजलि, सृष्टि, स्वेता, अफसाना, अतुल, मयंक, रिंकी, पूजा, हर्ष आदि उपस्थित रहे।