उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) के तत्वावधान में दिनांक 15 अक्टूबर 2025 को निर्मल आश्रम ज्ञानदान एकेडमी (NGA) छिद्दरवाला, ऋषिकेश में “विज्ञान के लोकव्यापीकरण” विषय पर छात्र-छात्राओं के लिए विशेष व्याख्यान आयोजित किये गये।
इन व्याख्यानों का मुख्य उद्देश्य स्कूली छात्रों में विज्ञान के प्रति रुचि को बढ़ावा देकर उनके बौद्धिक विचारों को प्रोत्साहित करना था, जिससे छात्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी व इनके शोध के क्षेत्र में अपना भविष्य सँवार सके।
इस अवसर पर यूकॉस्ट के जिला समन्वयक व निदेशक, IQAC पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर, ऋषिकेश प्रो. गुलशन कुमार ढींगरा ने बताया कि यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो दुर्गेश पंत के कुशल नेतृत्व में यूकॉस्ट की कोशिश है कि प्रदेश के प्रत्येक विद्यालयों के छात्रों में विज्ञान व इस से जुड़े विषयों के प्रति रुचि व उत्साह जागृत हो व उनके मन उत्पन्न हो रहे विचारों को प्रोत्साहित कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करना है।
इस कार्यक्रम के पहले वक्ता सोसाइटी ऑफ़ पॉल्यूशन एंड एनवायरनमेंट कंजर्वेशन साइंटिस्ट (स्पैक्स) संस्था, देहरादून के अध्यक्ष डॉ बृजमोहन शर्मा ने छात्रों को खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच के सरल तरीके बताए। उन्होंने बच्चों संग मिलकर रोजमर्रा के खाद्य पदार्थ जैसे हल्दी, चीनी, नमक, मसाले, दूध, पनीर और घी में मिलावट की सामान्य पहचान के वैज्ञानिक तरीके बताए और प्रयोगात्मक सत्र करवाया।
उन्होंने बताया कि अत्यधिक चिपचिपी या चमकीली मिठाइयां संभवत: नमी संरक्षित सिरप रखती हैं। यदि मिठाई बिना फ्रिज में रखे महीनों तक नम और चमकदार रहे तो कृत्रिम संरक्षण हो सकता है। मिठाई का एक टुकड़ा फ्रीजर में रखें। यदि वह पूरी तरह से जमता नहीं, बल्कि मुलायम या गीला ही रह जाता है तो उसमें एचएफसीएस या ग्लूकोज सिरप मिला हो सकता है व एक टुकड़ा हल्के गर्म पानी में घोलें व देखें, यदि वह तुरंत गंदा, चिपचिपा या बादलीदार होता है, तो यह सिरप हो सकता है। उन्होंने अनेकों खाद्य पदार्थों में मिलावट की जानकारी छात्रों के साथ साझा की जिसे छात्रों ने रोचक पूर्वक सुना व समझा।
इस कार्यक्रम में दूसरे वक्ता भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. बिनॉय कृष्ण पात्रा ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे प्राचीन भारतीय शास्त्रों में ब्रह्मांड पाँच मूल अवयवों, जल, अग्नि, पृथ्वी, आकाश और वायु से बना है। “परमाणु” शब्द एक भारतीय ऋषि और दार्शनिक, कणाद से आया है। 1897 में, थॉमसन ने पहली बार दिखाया कि इलेक्ट्रॉन हाइड्रोजन आयन, जो कि सबसे हल्का पदार्थ था, से लगभग 2,000 गुना हल्का होता है। हाइड्रोजन प्रकृति का सबसे सरल परमाणु है। 1911 में, रदरफोर्ड ने दिखाया कि परमाणु नाभिक छोटा और सघन होता है।
फिर, 1913 में, नील्स बोहर ने अपना परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमें इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्ताकार कक्षाओं में घूमते हैं। इस प्रकार ब्रह्मांड के सबसे छोटे निर्माण खंड की वर्तमान अवधारणा इस प्रकार है: अणु परमाणु से निर्मित होते हैं, जो किसी भी रासायनिक तत्व की मूल इकाई है।
ब्रह्मांड में चार मूलभूत बल हैं: विद्युत चुम्बकीय, दुर्बल, प्रबल और गुरुत्वाकर्षण, जो कणों के बीच परस्पर क्रिया को नियंत्रित करते हैं। विविधता का कारण बनता है। अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि गुरुत्वाकर्षण बल सौरमंडल के निर्माण के लिए उत्तरदायी है। यह जानकारी छात्रों के लिए अत्यंत रोचककारी थी, जिसे छात्रों ने उत्साह से सुना।
इस कार्यक्रम में तीसरे वक्ता के रूप में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस. सुरेश कुमार पिल्लई ने “जीवाश्मों से दबे हुए रहस्यों का समाधान और शोध समस्याओं के समाधान में इसका अनुप्रयोग” विषय पर व्याख्यान दिया। उनका व्याख्यान जीवाश्म पर आधारित था, जिसे अतीत के अवशेष माना जाता है। उन्होंने विकास और जलवायु परिवर्तन के साथ वनस्पतियों में कैसे बदलाव आया, इस पर ज़ोर दिया।
उन्होंने पृथ्वी की उत्पत्ति से लेकर अब तक के 24 घंटो की तुलना करके वनस्पतियों पर आधारित भूवैज्ञानिक घड़ी की व्याख्या की। डॉ. पिल्लई ने भारत में भू-विरासत स्थलों के संरक्षण और विकास में बीएसआईपी की भूमिका पर एक फिल्म दिखाई। इससे आने वाली पीढ़ियो के लिए जीवाश्मों को बचाने में मदद मिलेगी। उन्होंने शोध के प्रति अपने जुनून की झलक दिखाते हुए छात्रों को प्रेरित करते हुए अपनी बातचीत का समापन किया।
अंत में NGA विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ. सुनीता शर्मा ने सभी वक्ताओं सॉल व स्मृति चिन्ह भेंट कर आभार व्यक्त किया व निर्मल आश्रम ज्ञानदान अकैडमी परिवार की ओर से धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि प्रो. ढींगरा व यूकॉस्ट के द्वारा आज छात्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिससे छात्रों में विज्ञान के प्रति जागरूकता का प्रवाह हुआ है । उन्होंने कहा कि “विज्ञान को पढ़ाया नहीं, बल्कि अनुभव कराया जाना चाहिए, क्योंकि यह हमारे चारों ओर मौजूद है।
इस अवसर पर सभी अतिथियों को निर्मल आश्रम के परम पूजनीय संत बाबा जोध सिंह जी महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ व भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजन के लिए वार्ता हुई।
इस अवसर पर NGA की जूनियर विंग्स की प्रधानाचार्या श्रीमती अमृत पाल डंग, क्रीडा शिक्षक दिनेश पैन्यूली व अन्य अध्यापक, कर्मचारीगण व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
More Stories
धनौरी पी.जी. कॉलेज में दीपावली के उपलक्ष में रंगोली प्रतियोगिता सम्पन्न
महाविद्यालय चिन्यालीसौड़ में राज्य के 25वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित
राजकीय महाविद्यालय थत्यूड में राज्य के 25 वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित