वीर शहीद केसरी चंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डाकपत्थर देहरादून में आज दिनांक 14 मार्च 2024 को एनसीसी एवं करियर काउंसलिंग सेल के संयुक्त तत्वाधान में प्राचार्य प्रोफेसर जी आर सेमवाल की अध्यक्षता में एनसीसी अधिकारी लेफ्टिनेंट डॉक्टर अमित गुप्ता एवं करियर काउंसलिंग सेल की संयोजक डॉ राखी डिमरी के द्वारा एकदिवसीय कार्यशाला आपदा प्रबंधन: राहत एवं बचाव विषय पर आयोजित की गई।

कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में एसडीआरएफ से श्री सुरेश तोमर, एडिशनल एस आई एवं अग्निशमन विभाग से श्री पी एस नेगी फायर ऑफिसर उपस्थित हुए। कार्यशाला का संचालन डॉ अमित कुमार गुप्ता के द्वारा किया गया।

सर्वप्रथम वक्ता एसडीआरएफ से आई टीम के लीडर श्री सुरेश तोमर, इन्होंने स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड (एस डी आर एफ) के बारे में विस्तार से बताया कि कैसे उत्तराखंड सरकार ने एनडीआरएफ की तर्ज पर एसडीआरएफ का गठन किया।

उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत गठित राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष, घटित होने वाली आपदाओं की प्रतिक्रिया के लिए राज्य सरकारों के पास उपलब्ध प्राथमिक निधि है। एसडीआरएफ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

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इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि किसी भी घटनास्थल पर पहुंचने के लिए एस डी आर एफ को उच्च स्तरीय आदेशों का इंतजार नहीं करना पड़ता। इस टीम में न्यूनतम छह लोग होते हैं, जो परीस्थिति अनुसार बढाये भी जा सकते है।

इसके पश्चात टीम के दूसरे सदस्य श्री आशिक अली एवं बलबीर सिंह ने संयुक्त रूप से डेमोंसट्रेशन के माध्यम से अपने अन्य सहयोगी श्री संदीप सिंह, श्री अमि चंद, श्री रजत तोमर, श्री लक्ष्मण सिंह, श्री जगबीर सिंह, एवं श्री अनिल चौहान के साथ किसी भी दुर्घटना में घटित व्यक्ति को कैसे प्राथमिकता देनी होती है, कैसे उसके बहते खून को प्राथमिक उपचार देना होता है।

जिसमें चार विशेष तरीके होते हैं जैसे डायरेक्ट प्रेशर, प्रेशर पॉइंट, एलिवेशन विधि, और टारनिकेट, इनके जरिए कैसे प्राथमिक उपचार घायल को दिया जा सकता है, जिससे उसकी जान बचाई जा सकती है, आदि पर ध्यान आकर्षित किया।

इसके साथ ही कृत्रिम स्ट्रेचर बनाना विशेष रूप से टू हैंड शीट्स, थ्री हैंड सीटस, फ़ॉर हैंड शीट्स आदि हाथों के माध्यम से बनाकर घायल को उपचार के लिए किस प्रकार से ले जाना, किस प्रकार हृदय घात पहुंचे व्यक्ति को सीपीआर देकर उसकी जान बचाई जा सकती है आदि बिंदुओं पर प्रकाश डाला। टीम ने बताया कि सीपीआर सिर्फ तभी ही दिया जाना है जब घायल की नब्ज़ नही चल रही हो, तो उस समय ऐसे व्यक्ति को जमीन पर सीधा लेटा कर दोनों हाथों के माध्यम से तीन से चार सेंटीमीटर के दबाव के साथ हृदय में 30 बार, पर 2 सेकंड के हिसाब से दवाब देना चाहिए।

इसके पश्चात दो बार कृत्रिम सांस के द्वारा भी सीपीआर करना चाहिए दो से ढाई मिनट की प्रक्रिया के दौरान 90 बार छाती दबाना और छह बार कृत्रिम सांस देने की प्रक्रिया अपनानी चाहिए।

इसके अतिरिक्त यदि कोई व्यक्ति नदी में डूब रहा हो तो उसको रस्सी, ट्यूब, या लाइफ़ जैकेट आदि प्राथमिक सहायता के आधार पर कैसे बचाया जा सकता है, इस पर भी विस्तार से समझाया गया।

कार्यशाला के द्वितीय चरण में अग्निशमन विभाग से आए फायर ऑफिसर्स श्री पी एस नेगी एवं उनकी टीम सदस्य डीवीआर श्री खजान सिंह, फायरमैन श्री सबल सिंह, श्री अभिषेक राणा, श्री विनीत चौहान द्वारा घरेलू आग को किस प्रकार से नियंत्रित किया जा सकता है, साथ ही दैनिक कार्यों में अग्नि किस प्रकार से जानलेवा साबित हो जाती है।

इसे किस प्रकार से घरेलू तरीकों से निपटाया जा सकता है, उसके बारे में भी विस्तार से डेमोंसट्रेशन के माध्यम से समझाया गया।साथ ही उन्होंने कई छात्र-छात्राओं को गैस लीक होने पर लग रही आग को किस प्रकार से प्रथम चरण में उंगली से, द्वितीय चरण में गीले सूती कपड़ों के माध्यम से बुझाया जा सकता है आदि को विस्तार से समझाया।

कार्यशाला के अंत में प्राचार्य प्रोफेसर जी आर सेमवाल ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया एवं इस प्रकार के बौद्धिक सत्रों को एन सी सी एवं करियर काउंसलिंग सेल के माध्यम से निरंतर करवाने का भी विचार व्यक्त किया।

उन्होंने समस्त छात्र-छात्राओं को आपदा की घड़ी में संयम न खोना एवं धैर्य से जीवन को बचाने के लिए बताए गए प्राथमिक उपचारों को अपनाने के लिए सुझाव दिया। कार्यशाला के समापन के अवसर पर उपस्थित छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र वितरित किया गया।

साथ ही उपस्थित मुख्य वक्ता एवं सदस्यों को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन करियर काउंसलिंग सेल की संयोजक द्वारा धन्यवाद ज्ञापित करके किया गया जिसमें उन्होंने मुख्य अतिथियों का अभिनंदन एवं धन्यवाद किया साथ ही इस प्रकार के ब्रेन स्टॉर्मिंग सत्र को आगे भी करते रहने का छात्र-छात्राओं को आश्वासन दिया।

कार्यशाला में प्राध्यापक वर्ग में वरिष्ठ प्राध्यापक प्रोफेसर आर एस गंगवार, प्रोफेसर अरविंद कुमार अवस्थी, मुख्य शास्ता डॉ रोशन केस्टवाल, डॉ नीलम ध्यानी, मीडिया प्रभारी डॉक्टर दीप्ति बगवाड़ी, डॉ के के बंगवाल, डॉ मनोरथ नौगाई, डॉ सीमा पुंडीर, श्रीमती भावना, श्रीमती रीना, श्रीमती दीपा, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्री मनमोहन सिंह, छात्र छात्रों में छात्र संघ अध्यक्ष आशीष बिष्ट, सचिव प्रियांशु, पूर्व सचिव श्री राहुल, पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि श्री तुषार, पूर्व अध्यक्ष श्री लक्ष्मी, स्पंदन डिमरी, प्रीति, रोहित, काजल, शुभम, सुधांशु, एनसीसी कैडेट्स, अंडर ऑफिसर तनिष्क आदि उपस्थित रहे।