कोटा राजस्थान के संगीत, साहित्य, संस्कृति प्रेमी तबला वादक श्री देवेंद्र कुमार सक्सेना की अपनी कविता आओ हिल-मिल खेलें होली का समापन,  वर्षों बाद श्रीराम अपने घर अयोध्या में मना रहे हैं होली” से किया है..

 रंगों का त्यौहार है होली।

आओ हिलमिल खेंले होली।।

 भेद-भाव सब दूर भगाओ,

राग द्वेष को दूर हटाओ!

  प्रेम प्रीति से त्यौहार मनाने ,

आओ हिलमिल खेंले होली!!

 औरो में खोजो अच्छाई,

अन्तर्मन में हो सच्चाई!

स्नेह सिंचित रंग लगाकर –

आओ हिलमिल खेंले होली ।।

 रंग बिरंगी मन में आशा,

होली में जले निराशा!

मन से अविश्वास मिटाकर

आओ हिलमिल खेलें होली।।

 बोलें कोयल सी बोली

 खायें नहीं भंग की गोली।

मर्यादा का रंग लगातार,

आओ हिलमिल खेलें होली।।

सद्चिंतन प्रखर प्रज्ञा सा,

अन्तर्मन सजल श्रध्दा सा!

 शांतिकुंज गायत्री तीर्थ में,

आओ हिलमिल खेंले होली ।।

 सैकड़ों वर्ष बाद अवध में

 सियाराम मना रहे हैं होली

हम भी उनके साथ घर घर में

आओ हिलमिल खेंले होली ।।

देवेंद्र कुमार सक्सेना