शासकीय जलद त्रिमूर्ति महाविद्यालय नागौद जिला सतना मध्य प्रदेश द्वारा आयोजित तथा उच्च शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश द्वारा प्रायोजित पर्यावरण एवं समाज विषय पर आज दिनांक 30 मई 2024 को एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।

यह आयोजन ने प्राचार्य डॉ० जी०पी० शर्मा तथा संयोजक डॉ० नीरज कुमार द्वारा किया गया। इस राष्ट्रीय वेबिनार मे मुख्य वक्ता के रूप मे डॉ० भरत गिरी गोसाई सहायक प्राध्यापक- वनस्पति विज्ञान राजकीय महाविद्यालय अगरोड़ा, टिहरी गढ़वाल ने वर्चुअल माध्यम से प्रतिभा किया।

उन्होंने अपने वक्तव्य मे कहा कि हाल के दशकों मे नगरीकरण, औद्योगीकरण के नाम पर बिना सोचे समझे जल, जंगल, जमीन का अनियंत्रित दोहन, अंधाधुन वृक्षों के कटान के कारण भूमि अपरदन, भूस्खलन, आपदाएं तथा बाढ़ जैसे समस्याओं का प्रकोप बढ़ गया है जिससे पर्यावरण का संतुलन भी बिगड़ रहा है।

पर्यावरण की अनुकूलता और प्रतिकूलता के साथ उसकी सुरक्षा का मूल्यांकन आज की आवश्यकता है। इस दौरान उन्होंने चिपको आंदोलन के बारे में विस्तार पूर्वक से बताया।

उन्होंने कहा कि चिपको आंदोलन का यह संदेश देता है कि वनों से हमारा बहुत गहरा रिश्ता है। वनों का संरक्षण एवं संवर्धन केवल कानून बनाकर नहीं किया जा सकता इसके लिए कानून का कठोरता के साथ पालन कराया जाना चाहिए। साथ ही साथ सरकारी नीतियों द्वारा वन पंचायतों को सुदृढ़ बनाया जाना चाहिए।

उन्होंने अपने व्याख्यान के माध्यम से सभी को पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपने कर्तव्यो का निर्वहन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक को प्राकृतिक संसाधनों का न्यूनतम उपयोग करना चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए कम पानी, कम बिजली, कम ईंधन, कम से कम पेट्रोलियम पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए तथा पॉलिथीन का प्रयोग पूर्णतः वर्जित होना चाहिए।

जन्म दिवस, विवाह, वैवाहिक वर्षगांठ इत्यादि शुभ अवसरों पर पौधरोपण कर उनकी देखभाल करके पर्यावरण संरक्षण मे अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

इस राष्ट्रीय वेबिनार मे मुख्य संरक्षक उच्च शिक्षा संभाग रीवा डॉ० राजेंद्र प्रसाद सिंह, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रोफेसर जयप्रकाश शर्मा, शासकीय नागार्जुन महाविद्यालय रायपुर के वरिष्ठ सह-प्राध्यापक प्रोफेसर मृगेंद्र कुमार द्विवेदी, आई०यू०ए०सी० प्रभारी श्री मनोज वर्मा, वेबिनार समन्वयक डॉ० बृज कुमार पटेल, सहसंयोजक श्री बृजेंद्र सिंह सहित उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार आदि प्रदेशों के शोधार्थियों तथा प्रतिभागियों ने वर्चुअल माध्यम से प्रतिभाग किया।