राजकीय महाविद्यालय, मजरा महादेव में आज ‘राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन’ ‘जल शक्ति मंत्रालय’ भारत सरकार के तत्त्वाधान में नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत (दिनांक 16 मार्च से 31 मार्च तक) ”गंगा स्वछता पखवाड़ा” में ‘कार्यक्रम के समापन के साथ ही पुरस्कार वितरित व आपदा प्रबंधन पर गोष्ठी का आयोजन किया गया ।

महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. के. सी. दुद्पुड़ी ने पुरस्कार वितरित करते हुए कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम गंगा नदी के कायाकल्प और संरक्षण के लिए एक महत्त्वपूर्ण पहल है, जो भारत में लाखों लोगों के लिए जीवन रेखा है।

कार्यक्रम ने अपने लॉन्च के बाद से महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, जिसमें प्रदूषण को कम करने, नदी के प्रवाह में सुधार और सार्वजनिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न उपाय लागू किए गए हैं।

इसके प्रवाह में उच्च जनसंख्या घनत्व और औद्योगिक गतिविधि को देखते हुए, गंगा नदी का पुनरुद्धार एक जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य है। यह कार्यक्रम जल प्रदूषण और पारिस्थितिक क्षरण को संबोधित करने के एक महत्त्वपूर्ण प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है, साथ ही भारत में लाखों लोगों के लिए नदी के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्त्व को भी पहचानता है।

हालाँकि, कई चुनौतियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जैसे सीवेज उपचार संयंत्रों के उचित कामकाज को सुनिश्चित करना और औद्योगिक अपशिष्टों के निर्वहन की निगरानी करना।

कार्यक्रम को अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए दीर्घकालिक दृष्टि और मजबूत प्रतिबद्धता के साथ अपने प्रयासों को जारी रखने की आवश्यकता है।

नमामि गंगे के नोडल अधिकारी डॉ. चन्द्र बल्लभ नैनवाल ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना की शुरुआत गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने तथा गंगा नदी को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से की गई थी।

युवाओं और जनता की भागीदारी के माध्यम से एक गंगा नदी के प्रदूषण और संरक्षण की दिशा में योगदान देना और दूसरी ओर राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना इसके मुख्य उद्देश्य है।

महाविद्यालय में आयोजित नमामि गंगे कार्यक्रम में जिन छात्र व छात्राओं ने प्रथम द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया था, उन सभी छात्र-छात्राओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान करिश्मा ( बी.ए द्वितीय सेमेस्टर ), द्वितीय स्थान शिवानी चौहान (बी. ए. चतुर्थ सेमेस्टर), तृतीय स्थान (बी.ए. तृतीय वर्ष) की छात्रा दीपा ने प्राप्त किया था।

‘चित्रकला’ प्रतियोगिता में प्रथम स्थान सपना (बी.ए. चतुर्थ सेमेस्टर) द्वितीय स्थान जूना (बी.ए. द्वितीय सेमेस्टर) तृतीय स्थान नीलम (बी.ए. तृतीय वर्ष) ने प्राप्त किया था।

‘निबंध लेखन प्रतियोगिता’ प्रथम स्थान कांति(बी.ए. चतुर्थ सेमेस्टर) द्वितीय स्थान नंदी (बी.ए. तृतीय वर्ष) तृतीय स्थान संतोषी व दीपा रावत(बी.ए. तृतीय वर्ष) ने प्राप्त किया था।

100 मीटर दौड़ में प्रथम स्थान नन्दी (बी.ए. तृतीय वर्ष ) द्वितीय स्थान दीपा(बी.ए. तृतीय वर्ष ) तृतीय स्थान रेनू(बी.ए. तृतीय वर्ष ) की छात्रा ने प्राप्त किया था।

200 मीटर दौड़ में प्रथम स्थान नन्दी (बी.ए. तृतीय वर्ष ) द्वितीय स्थान पार्वती(बी.ए. चतुर्थ सेमेस्टर) तृतीय स्थान दीपा(बी.ए. तृतीय वर्ष) ने प्राप्त किया था।

खो -खो में टीम बी ( बी.ए . द्वितीय सेमेस्टर) विजेता रही थी।

कबड्डी में टीम ए (बी.ए. तृतीय वर्ष )विजेता रही थी।

महाविद्यालय के प्राचार्य ने इन सभी छात्र-छात्राओं को शुभकामनाएं देते हुए इन सभी को पुरस्कार वितरित किये।

राजनीति विभाग के प्राध्यापक इंद्रपाल सिंह रावत ने आपदा प्रबंधन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जब अचानक घटनाओं के कारण समाज प्रभावित होता है, जिससे समुदाय व स्थानीय संसाधनों को नुकसान पहुंचता है, तो हम स्थिति को ‘आपदा’ के रूप में कह सकते हैं।

प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा के दौरान जीवन और संपत्ति के संरक्षण और पुनर्प्राप्ति में सहायता करने के लिए कानूनी तौर पर जो भी नीतियाँ बनाई जाती है उसे आपदा प्रबंधन कहते हैं। बाढ़, तूफान/चक्रवात, जैसी आपदाओं से बड़े पैमाने पर होने वाली नुकसान और बीमारियों और (महामारी) का तेजी से प्रसार के रोकथाम।

महाविद्यालय के प्राध्यापकों में आदित्य शर्मा, डॉ दीपक कुमार, डॉ प्रियंका भट्ट, डॉ. राकेश बिष्ट के साथ-साथ शिक्षणेतर कर्मचारी उदयराम पंत, विक्रम सिंह रावत, वीरेन्द्र सिंह, गुलाब सिंह , मनोज रावत ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।

महाविद्यालय के छात्र- छात्राओं ने भी कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रतिभाग किया।