कोटा, 2 दिसंबर। राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल के शिक्षा प्रोत्साहन प्रन्यासी अरविन्द सिसोदिया ने विपक्ष द्वारा संसद की कार्यवाही में लगातार बाधा डालने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि “संसद देश की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था है, जिसे भारत के नागरिक अपने मतों से चुनते हैं।
देशहित, विकास और लोककल्याण के सभी कार्य संसद में संचालित होते हैं। ऐसे में विपक्ष द्वारा बार-बार संसद को ठप करना न केवल जनादेश का अपमान है, बल्कि लोकतंत्र और संविधान की भी गंभीर अवमानना है। यह तरीका देश की जनता किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं कर सकती। इसीलिए वह बार-बार विपक्ष को पराजित कर दंडित रही है।
सिसोदिया ने यह भी कहा कि “विपक्ष का निरंतर व्यवधान केवल सदन की गरिमा को ठेस नहीं पहुँचाता, बल्कि उन करोड़ों नागरिकों के हितों को भी प्रभावित करता है, जिनकी अपेक्षाएँ संसद से जुड़ी होती हैं। जनता ने अपने प्रतिनिधियों को इसलिए चुना है कि वे उसकी समस्याओं पर गंभीरता से चर्चा करें, समाधान प्रस्तुत करें और देश को आगे ले जाने वाले निर्णय लें। लेकिन विपक्ष का अवरोधक रवैया यह दर्शाता है कि उन्हें न तो संवाद में रुचि है और न ही राष्ट्रीय हितों की परवाह। यह रवैया लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ किसी भी प्रकार से न्याय नहीं करता।”
सिसोदिया ने कहा कि “विपक्ष का यह व्यवहार देश की संवैधानिक परंपराओं को ठेस पहुँचाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के ‘राजकुमार’ नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष लगातार जनभावनाओं की उपेक्षा कर रहा है और संसद को अपनी अङ्गेबाज राजनीति का अखाड़ा बना रखा है। देश की जनता बार-बार उन्हें पराजित कर लोकतंत्र का पाठ पढ़ा रही है, लेकिन विपक्ष इससे कोई सीख लेने को तैयार नहीं दिखता।”
सिसोदिया ने कहा कि “संसद को बाधित करना किसी भी राजनीतिक दल की परिपक्वता का संकेत नहीं है। महत्वपूर्ण विधेयक, विकास योजनाएँ और लोकहित से जुड़े मुद्दे सिर्फ इसलिए रुके रह जाते हैं क्योंकि विपक्ष रचनात्मक सहयोग देने के बजाय विघटनकारी राजनीति को प्राथमिकता देता है। जनता स्पष्ट संदेश दे चुकी है कि उसे विकास चाहिए, विवाद नहीं; समाधान चाहिए, अवरोध नहीं।”
सिसोदिया ने कहा कि “कांग्रेस और उसके सहयोगी दल यह अच्छी तरह समझ लें कि जनता उनकी उदंडता को पसंद नहीं करती और आगे भी सबक सिखाएगी।”


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