हरिद्वार: आज पतंजलि गुरुकुलम और आचार्यकुलम का महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर शिलान्यास किया

रक्षामंत्री ने कहा कि गुरुकुल परंपरा ने भारत का पूरे विश्व में स्थान दिलाया है। उन्होंने संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में काम करने की भी बात कही।

नई शिक्षा नीति पर बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कई राज्यों ने नई शिक्षा नीति के तहत अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें अचानक परिवर्तन संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मैकाले शिक्षा पद्धति ने देश को राजनीतिक और मानसिक रूप से गुलाम बनाया। स्वामी दर्शनानंद ने गुरुकुल की स्थापना कर इस दिशा में प्रकाश फैलाया जो आज भी युवाओं को प्रकाशित कर रहा है।

शनिवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सुबह जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। इसके बाद केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ स्वामी दर्शनानंद गुरुकुल महाविद्यालय में ‘गुरुकुलम एवं आचार्यकुलम’ के शिलान्यास समारोह में शामिल होने पहुंचे।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भगवान राम फिर से अयोध्या में विराजमान हो रहे हैं। देश प्रधानमंत्री के नेतृत्व में ऊंचाईयों को छू रहा है।

इस अवसर पर बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि का यह गुरुकुलम विश्व का सबसे बड़ा गुरुकुल होगा। आगामी 5 वर्षों में पतंजलि योगपीठ 5000 करोड रुपए के निवेश से भारतीय शिक्षा में बड़ी क्रांति लाएगा।

उन्होंने कहा कि योग स्वदेशी के बाद पतंजलि की ओर से शिक्षा जगत की यह तीसरी बड़ी क्रांति होगी। बाबा रामदेव ने कहा कि अब हरिद्वार दुनिया में शिक्षा का बड़ा केंद्र बनेगा। आज पतंजलि योगपीठ का भी 29 वां स्थापना दिवस भी है।

शिलान्यास के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी, योग गुरु बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी, प्राचीन अवधूत मंडल के महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश, पूर्व सीएम डा. रमेश पोखरियाल निशंक आदि मौजूद रहेे।

इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सिख धर्म है, शिष्य शब्द से ही निर्मित है। भारत में कई सारे ऐसे धर्म और संप्रदाय हैं, जो गुरुवाणी के आधार पर ही कायम है।ं यदि भारतीय संस्कृति जीवित है और यह सनातन बनी हुई है, तो इसकी जीवंतता को बनाए रखने में इस देश के गुरुओं का सबसे बड़ा योगदान है।