• इतिहास पाठ्यक्रम : वर्तमान परिप्रेक्ष्य व चुनौतियों पर केंद्रित दो-दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन
  • भारत के इतिहास को बढ़ाने के तरीकों और पाठ्यक्रम पर चर्चा

सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय और अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा इतिहास पाठ्यक्रम : वर्तमान परिप्रेक्ष्य व चुनौतियों पर केंद्रित दो-दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ

संगोष्ठी में भारत के प्रमाणिक इतिहास लेखन, तथ्य संकलन, इतिहास और दर्शन पुनर्लेखन, शोध के क्षेत्र में कार्य करने वाले 250 युवा इतिहासकारों ने गंभीर चिंतन मनन किया।

5 मुख्य सत्रों और अन्य सत्रों में 150 से ज्यादा शोध पत्र पढ़े गए। इतिहास पाठ्यक्रम वर्तमान परिप्रेक्ष्य और चुनौतियां पर केंद्रित राष्ट्रीय युवा इतिहासकार दो- दिवसीय संगोष्ठी में इतिहास पढ़ाने के तौर-तरीकों पाठ्यक्रम इतिहास में नई दृष्टि और भारतीय करण पर चर्चा हुई।

एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह की इतिहासकार विभागाध्यक्ष एवम कार्यक्रम प्रतिवेदक डॉ मनीषा दीक्षित ने युवा इतिहासकारों को संबोधित करते हुए कहा कि माधव संस्कृति न्यास का संकल्प है कि संगोष्ठी में आए शोध पत्रों में से चुने हुए शोध पत्रों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा इस प्रकार यह संगोष्ठी ना केवल देश के प्रतिभाशाली युवा इतिहासकारों को मंच देने वाली है बल्कि पाठ्यक्रम के रूप में एक राष्ट्रीय समस्या पर विचार मंथन कर ऐसे नए पाठ्यक्रम पर सुझाव देगी जिसके पठन द्वारा भारतीय विद्यार्थियों का मानस भारतीय तत्वों से परिपूर्ण होगा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि यूरोपीय जहां-जहां गए वहां से पूरे समाज को ध्वस्त कर दिया ऐसे में भारत कैसे बचा रहा है या विचार बिंदु है उन्होंने कहा कि 150 वर्षों के ब्रिटिश राज के नक्शे से देखना छोड़े बिना हम इतिहास को नहीं लिख सकेंगे । हम क्या थे यह जाने बिना हम क्या हो सकते हैं क्या अंदाजा नहीं लग सकता।

उन्होंने कहा कि वैशाली और मिथिला से 4000 साल पुराना इतिहास बनता है, लेकिन अंग्रेजों का दिया बिहार नाम 1940 से पहले अस्तित्व में नहीं था डॉक्टर केतकर ने कहा कि हमें बताया गया कि अंग्रेजों ने हमें एकीकृत किया और औद्योगिकीकरण किया तो फिर एक वक्त दुनिया की जीडीपी में 25 प्रतिशत का हिस्सा रखने वाला भारत अंग्रेजों के भारत छोड़ने के वक्त 2 प्रतिशत जीडीपी पर कैसे सिमट गया।

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के अध्यक्ष देवी प्रसाद सिंह ने कहा कि भारत में राजा संघर्ष करते थे लेकिन हिमालय से हिमसागर तक भारत की संकल्पना पर किसी को संदेह नहीं था अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ बालमुकुंद पांडे ने कहा कि वरिष्ठ इतिहासकारों के साथ मिलकर इतिहास के मूलभूत बिंदुओं पर चर्चा हो रही है उन्होंने युवा इतिहासकारों को देश भर में ऐतिहासिक दस्तावेजों तथ्यों और अन्य बिंदुओं के आधार पर इतिहास लेखन का आवाहन किया समांतर सत्रों में प्रोफेसर हिमांशु चतुर्वेदी ने कहा कि पाठ्यक्रम का उद्देश्य सही इतिहास को सामने लाना है

उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास दिल्ली का इतिहास नहीं है और जब भारत का सही इतिहास घटित होगा तो 150 किलोमीटर के इतिहास की नग्नता सामने आएगी इस संगोष्ठी में देश भर से 250 से अधिक युवा इतिहासकारों ने प्रतिभागीता की कार्यक्रम का संयोजन डॉक्टर रत्नेश कुमार त्रिपाठी स्थानीय संयोजक डॉक्टर अल्केश चतुर्वेदी रजिस्ट्रार सांची बौद्ध भारतीय विश्वविद्यालय की द्वारा किया गया।

 

सम्पादन

डॉ. मनीषा दीक्षित

विभागाध्यक्ष (इतिहास)

एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह म.प्र.