Tuesday, October 14, 2025

साहित्य अभिव्यक्ति

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर संध्या गोचर की कविता- वह आंखें…. 

कोटा, राजस्थान:  आज अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस हैं कोटा की बीए की छात्रा संध्या गोचर ने इस अवसर पर एक कविता सभी पाठको के लिए प्रेषित की है अच्छी प्रेरणादायक कविता प्रकाशन की प्रेरणा उन्हें अपने माता-पिता व राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा में लोक शिक्षक तबला वादक देवेंद्र कुमार सक्सेना से प्राप्त हुई है।

                   वह आंखें…. 

वह आंखें जिन्हें मैं कभी नहीं भूल सकती ।

उन आंखों मे प्यार, विश्वास, जिज्ञासा थी ।

उन आंखों मे हजारो सपने थे ।

उन आंखों मे अनेक नन्हे सवाल थे। 

उन आंखों मे खुशियो का सैलाब था ।

उन आंखों ने खेल का मैदान देखा था ।

उन आंखों ने खुशियो का समुद्र देखा था ।

उन आंखों ने माता पिता का प्यार देखा था ।

उन आंखों ने सच्चाई की परिभाषा पढी थी । 

आज वही आंखें डर से काप रही है ।

आज वही आंखें डर से चुप है ।

आज वही आंखें आंसुओं से भरी है ।

आज वही आंखें अपने लड़की होने का मूल्य चुका रही है ।

आज वही आंखें अपने सपनो को मार रही है ।

आज वही आंखें जिन्दगी और मौत के बीच डगमगा रही है ।

आज वही आंखें अपने साथ हुए अपराध पर चुप है ।

अपराध वह जिसे वह जानती तक नहीं ।

अपराध वह जिसे कलयुग की देन कहा जाता है ।

अपराध वह जिसके बारे मे सोचकर रूह काप जाए। 

क्या गलती थी उन आंखों की ।

क्या गलती थी उन सपनो की जो उन आंखों ने देखे ।

क्या लड़की होना पाप है ,

क्या सपने देखना पाप है ,

क्या जिन्दगी जीना पाप है, 

क्या गलती थी उन आंखों की ।

वह आंखें जिन्हें मैं कभी नहीं भूल सकती ।

वह आंखें आज मृत हैं ।।।

लेखिका: संध्या गोचर 

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