अलसी के बीज (Flaxseed): अलसी बीज का भारत में हजारों वर्षों से आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस्तेमाल किया जाता रहा है। अलसी बीज, तेल, पाउडर, गोलियां, कैप्सूल और आटे के रूप में उपलब्ध है। लोग इसे कब्ज, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग, कैंसर और कई अन्य बीमारियों को रोकने के लिए खाने में इस्तेमाल करते हैं।
अलसी के पोषक तत्व: यह लिग्नन्स, एंटीऑक्सिडेंट, फाइबर, प्रोटीन और पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड जैसे अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ALA) या ओमेगा-3 जैसे तत्वों का भंडार हैं। इन पोषक तत्वों का सेवन विभिन्न रोगों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
भारतीय भाषाओं में अलसी को अलसी, जवास और अक्से बीज जैसे कई नामों से जाना जाता है।
इसका लैटिन नाम है लिनम यूजिटेटिसिमम , जिसका अर्थ है “बहुत उपयोगी’।
- अलसी के बीज में भारी मात्रा में फाइबर पाए जाते हैं और यही वजह है कि नियमित रूप से इसका सेवन करने से कब्ज को खत्म करने और पाचन को दुरुस्त बनाने में मदद मिल सकती है।
- अलसी के बीज एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) को कम करते हैं, एचडीएल (अच्छे कोलेस्ट्रॉल) में सुधार करते हैं, जिसके चलते आपको खून में कोलेस्ट्रॉल लेवल को मैनेज करने और दिल की सेहत में सुधार करने में मदद मिलती है।
- अलसी के बीज में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एस्ट्रोजन गुण होते हैं। यह ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर के साथ-साथ अन्य प्रकार के कैंसर को रोकने में मदद करता है।
- बल वर्द्धक:-
अलसी का चूर्ण बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर 2 बार नियमित रूप से दूध के साथ कुछ हफ्ते तक पीने से बल बढ़ता है।
2. अनिद्रा (नींद का न आना):-
अलसी तथा अरंड का शुद्ध तेल बराबर की मात्रा में मिलाकर कांसे की थाली में कांसे के ही बर्तन से ही खूब घोंटकर आंख में सुरमे की तरह लगायें। इससे नींद अच्छी आती है।
- कफयुक्त खांसी:-
भुनी अलसी पुदीने के साथ शहद में मिलाकर चाटने से कफयुक्त खांसी नष्ट होती है।
- मुंह के छाले:-
अलसी का तेल छालों पर दिन में 2-3 बार लगाने से छालों में आराम होगा।
5. कब्ज:-
अलसी के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से पेट की गैस मिटती है।
6.पीठ, कमर का दर्द:-
सोंठ का चूर्ण अलसी के तेल में गर्म करके पीठ, कमर की मालिश करने से दर्द की शिकायत दूर हो जाती है।
7. स्तनों में दूध की वृद्धि:-
अलसी के बीज 1-1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ निगलने से प्रसूता के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
8. शारीरिक दुर्बलता (कमजोरी):-
1 गिलास दूध के साथ सुबह-शाम 1-1 चम्मच अलसी के बीजों का सेवन करने से शारीरिक दुर्बलता दूर होकर पुष्टता आती है।
9.पेशाब में जलन:-
अलसी के बीजों का काढ़ा 1-1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार पीने से मूत्रनली की जलन और मूत्र सम्बंधी कष्ट दूर होते हैं।
10.गठिया (जोड़ों) का दर्द:-
अलसी के बीजों को ईसबगोल के साथ पीसकर लगाने से संधि शूल में लाभ होता है
अलसी के बीज में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एस्ट्रोजन गुण होते हैं। यह ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर के साथ-साथ अन्य प्रकार के कैंसर को रोकने में मदद करता है।
आप सीमित मात्रा में नियमित रूप से अलसी के बीज खा सकते हैं। एक दिन में 1-2 चम्मच से अधिक अलसी के बीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
नोट:यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।