हरिद्वार: भगवान के प्रति आस्था वयक्ति में ऐसा आत्मविश्वास भर देती है कि कठिन से कठिन तप भी वह सहजता से कर लेता है ऐसा ही एक उदाहरण हरिद्वार में देखने को मिला यहाँ हरिद्वार से केदारनाथ कांवड़ ले जा रहे महाराष्ट्र के नितेश काम्बले कीलों से बनी खड़ाऊं पहनकर कांवड़ यात्रा कर रहे हैं।
नितेश काम्बले पिछले 8 महीनों से कीलों से बनी खड़ाऊं पहनकर कांवड़ यात्रा कर रहे हैं। जब उनसे इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भोले को खुश करना ही उनका एकमात्र उद्देश्य है, इसीलिए वह इस कांवड़ यात्रा को कर रहे हैं।
उन्होंने बताया वह इस कांवड़ यात्रा के दौरान कुछ नहीं खाएंगे। वे केवल फलाहार और जूस, पानी के सहारे इस कावड़ यात्रा को करेंगे। इसी तप को और कठिन करने के लिए उन्होंने कीलों से बनी खड़ाऊं को पहना है। नितेश काम्बले का कहना है कि भगवान भोलेनाथ की भक्ति करना उन्हें बचपन से ही पसंद है। इससे पहले भी वह पैदल महाकाल तक यात्रा कर चुके हैं।
बताते चलें कि कांवड़ के दौरान हरियाणा के एक शिव भक्त ने अपनी पीठ में हुक लगाकर कांवड़ को खिंचकर अपने गंतव्य तक ले गया था। वह भी पीड़ादायक कांवड़ यात्रा थी।