मशरूम गर्ल के नाम से देशभर में पहचान बनाने वाली दिव्या रावत को महाराष्ट्र में पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

पुलिस ने उनके भाई राजपाल रावत को भी गिरफ्तार किया। साथ ही पुलिस ने कोर्ट से दिव्या और उनके भाई की तीन दिन की पीसीआर (पुलिस कस्टडी रिमांड) भी प्राप्त की है।

आरोप है कि दिव्या एक मुकदमे के सेटलमेंट के लिए पहुंची थीं।

दिव्या रावत पर धोखाधड़ी व जालसाजी का आरोप है, जिसके खिलाफ पौड पुणे ग्रामीण थाने में वर्ष 2022 में मुकदमा दर्ज किया गया था।

दिव्या रावत व उसके भाई राजपाल रावत की गिरफ्तारी की पुष्टि पौड थाने के थानाध्यक्ष मनोज यादव ने की है। पुलिस को दी शिकायत में जितेंद्र नंद किशोर भाखाड़ा निवासी मानसलेक भुकुम पौड ने बताया कि उनकी एक कंसल्टेंसी फर्म है, जिसे वह अपने घर से ऑनलाइन और फोन के माध्यम से संचालित करते हैं। वह उद्योग शुरू करना चाहते थे। उन्हें फेसबुक पर देहरादून में मशरूम की खेती के बारे में जानकारी मिली, इसलिए उन्होंने शकुंतला नाम की महिला से बात की।

वर्ष जनवरी 2019 में उन्हें देहरादून के मोथराेवाला में प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया, जहां उनकी मुलाकात शकुंतला राय की बहन दिव्या रावत से हुई और उन्होंने मशरूम तकनीक का प्रशिक्षण दिया।

शिकायतकर्ता ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद वह देहरादून में ही रुक गए। इसी बीच अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई, जिसके कारण वह पुणे आ गए। दिसंबर 2019 में उन्हें दिव्या रावत का फोन आया कि अगर आपकी सेहत अब ठीक है तो आप उनकी सौम्या फूड्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ सकते हैं। इसके बाद दिव्या ने उन्हें देहरादून बुलाया और रिवर्स माइग्रेशन 2020 प्रोजेक्ट पर चर्चा की और मशरूम मशीन लाने की योजना बनाई।

इसके बाद दिव्या रावत ने पार्टनरशिप में काम करने को कहा व प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले प्रशिक्षण लेने के लिए टीम के साथ गुजरात गए। वहां से उन्होंने कुछ मशीनें खरीदी।

शिकायतकर्ता ने बताया कि टीम का वेतन, रहने खाने का खर्च व कुछ मशीनों को खरीदने पर पूरा खर्च उन्होंने स्वयं किया। जिसके बिल दिव्या रावत को दिए गए। शिकायतकर्ता ने यह भी बताया कि पूरे प्रोजेक्ट का खर्च करीब एक करोड़ 20 लाख रुपये आया।

दिव्या रावत ने कुछ रुपये दिए, लेकिन कुछ ही समय बाद कोई न कोई बहाना बनाकर वापस ले लिए। जब उन्होंने दिव्या रावत से रुपये वापस मांगे तो उन्होंने मेरठ से एक एफिडेविट बनाकर वर्ष 2022 में नेहरू कालोनी थाने में उन्हीं के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवा दिया।

आरटीआइ में सूचना मांगने पर सामने आया सच

शिकायतकर्ता ने बताया कि नेहरू कालोनी थाना पुलिस ने उन्हें देहरादून बुलाकर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उच्च न्यायालय से मेडिकल ग्राउंड पर उन्हें जमानत मिली।

जेल से बाहर आने के बाद जब उन्होंने सूचना मांगी तो पता चला कि दिव्या रावत ने एक एफिडेविट लगाकर मुकदमा दर्ज कराया। आरोप है कि यह एफिडेविट भी जांच में फर्जी पाया गया।

इसकी शिकायत उन्होंने पुणे के पौड थाने में दी। दिव्या रावत समझौते के लिए शिकायतकर्ता से साढ़े 32 लाख रुपये मांग रही थी।

शिकायतकर्ता ने दिव्या को 10 लाख रुपये का चेक लेने के लिए पुणे बुलाया, जहां से उसे उनके भाई राजपाल रावत के साथ गिरफ्तार किया गया।