उत्तराखण्ड: क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए लीसा ठेकेदार के कर्मचारियों ने छोटे छोटे बच्चों को लीसा के कुप्पे देकर खुद बच्चों से उनके अपने सर पर डलवा दिए।

अल्मोड़ा जिले में स्याल्दे तहसील क्षेत्र में ग्राम पंचायत टिटरी में 5 मासूमों के साथ एक दिल दहला देने वाली घटना घटित हुई है।

जानकारी के अनुसार टिटरी गांव के 5 मासूमों की छोटी सी शरारत जान पर बन आई है। दरअसल अपनी गायों और बैलों को चराने जंगल गए बच्चों ने शरारत में लीसा ठेकेदार के कर्मचारियों द्वारा निकाले जा रहे लीसा के कुप्पों को फेंक दिया।

इतनी सी बात पर लीसा ठेकेदार के कर्मचारियों का पारा इतना हाई हो गया कि कर्मचारी बच्चों को उनके घर से पकड़कर लीसा डीपो लाए। पहले तो उनके नाम और पहचान पूछी और फिर उन्हें लीसा के कुप्पे देकर अपने अपने सिर पर डालने को कहा। इस क्रूर कृत्य को करते हुए वे बच्चों को लगातार धमका रहे थे।

इस घिनौने कृत्य का वीडियो भी स्वयं लीसा कर्मचारी ने बनाया है।वहीं, बच्चे भी सिर पर लीसा डालते हुए बोल रहे हैं कि उनकी आंखों में जलन हो रही है।

वायरल वीडियो के बाद भी कर्मियों पर अभी तक किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बताया जा रहा है लीसा के कारण कुछ बच्चों की आंख पर सूजन भी आ गई है।

दूसरी तरफ निर्दलीय विधायक उमेश कुमार शर्मा ने फेसबुक पर वीडियो पोस्ट करते हुए सीएम धामी से मामले पर कार्रवाई की मांग की है।

बतातें चलें कि लीसा डामर (कोलतार) या गोंद की तरह चिपचिपा पदार्थ है। इसे रेजिन भी कहते हैं। लीसा चीड़ के पेड़ से निकलता है। चीड़ से निकलने वाला लीसा (रेजिन) राजस्व प्राप्ति का बड़ा जरिया है। लीसा का उपयोग तारपीन का तेल बनाने में होता है। लीसा अत्यंत ज्वलनशील है।

उत्तराखंड के जंगलों में जो आग लगती है, उसका सबसे बड़ा कारण चीड़ के पेड़ हैं, जिनसे लीसा निकलता है।