गुरु पूर्णिमा पर देवेंद्र कुमार सक्सेना की कविता जगत गुरु भारत जग बगिया का माली…..

जगत गुरु भारत जग बगिया का माली…..

सद्गुरु मिलते हैं
तब धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का सूत्र सहज मिलता है..

शिष्य के भ्रमित – मन, अंतःकरण में ज्ञान का दीप जलता है।
गुरु पारस से दीक्षित होकर
शिष्य अनमोल स्वर्ण- कमल सा खिलता है….

सद्गुरु तपोनिष्ठ हैं….. चरण वंदन से पाप ताप मिटतें हैं।
गुरु अमृत कलश…शिष्य के प्राण में प्रेरणा बन मचलते हैं ।

गुरु प्रखर प्रज्ञा.. शिष्य में
सद्ज्ञान बन चहकतें हैं।
गुरु सजल श्रध्दां… शिष्य में भाव संवेदना बन झलकते हैं ।
गुरुदेव ऋषि युग्म का पाकर सूक्ष्म सानिध्य
शिष्य भव सागर तर जाता है।
पल भर में ईर्ष्या अहंकार आलस्य
जल जाता है।
हम जगत गुरु भारत की संतानें…

आओ गुरु पूर्णिमा पर्व पर
जगत गुरु का करें
वंदन अभिनंदन….

गुरुदेव की पूजा की थाली
बने जगत की खुश- हाली…
जगत गुरु भारत ही है जग बगिया का माली..

देवेंद्र कुमार सक्सेना
संस्कृति सेवी तबला वादक राजकीय कला कन्या महाविद्यालय
कोटा राजस्थान