आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग ने सभी को गर्व से भर दिया है। कंट्रोल रूम में मौजूद इसरो चीफ एस सोमनाथ सहित पूरी टीम गौरवान्वित है। कहा जा रहा है कि चंद्रयान-3 23 अगस्त के आसपास चांद की सतह को छुएगा।
भारत के लिए आज का दिन बेहद खास था। जिस घड़ी का इंतजार सारे देशवासी लंबे समय से कर रहे थे आखिर वह आ ही गई। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जैसे ही चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया मानो वहां लोग सारे मौजूद खुशी से झूम उठे। लॉन्चर मॉड्यूल और चंद्रयान-3 के अलग होते ही कंट्रोल रूम में तालियों की गड़गड़हाट से पूरा माहौल खुशनुमा हो गया।
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया है। एस सोमनाथ ने बताया कि अगर सबकुछ सामान्य रहा तो चंद्रयान-3 23 अगस्त के आस-पास चंद्रमा की सतह पर कदम रखेगा। चांद पर लैंड करने का समय भारतीय समयानुसार शाम 5 बजकर 47 मिनट होगा।
सबसे विश्वसनीय रॉकेट LVM3-M4 से छोड़े गया चंद्रयान-3 चांद के चारों ओर 41 दिन तक चक्कर लगाएगा जिसके बाद यह चंद्रमा की सतह पर लैंड कराया जाएगा। चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के लिए एक महीने से अधिक लंबी यात्रा पर तब तक आगे बढ़ेगा जब तक कि यह चंद्र सतह से 100 किमी ऊपर नहीं पहुंच जाता।
देश की धरती से उड़ान भर चांद तक का सफर तय करने वाले चंद्रयान-3 की खासियत भी देखने लायक है। लंबाई की बात करें तो चंद्रयान-3 43.5 मीटर लंबा है। इसका वजन 640 टन है। चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट में लैंडर का वजन 1.7 टन, प्रोपल्शन का वजन 2.2 टन और लैंडर के अंदर मौजूद रोवर का वजन 26 किलो है।
भारत का तीसरा चंद्र मिशन ओर भेल Chandrayaan3,
बीएचईएल ने श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 (एलवीएम3-एम4) के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो को बधाई दी।
BHEL में निर्मित बैटरियों – लैंडर मॉड्यूल (चंद्रमा पर लैंडर मॉड्यूल के महत्वपूर्ण उपकरण) और प्रोपल्शन मॉड्यूल Propulsion Module (लॉन्च और लैंडिंग के दौरान बिजली की आपूर्ति) के लिए बिजली आपूर्ति के लिए BHEL में निर्मित बैटरियों इकाइयों से सुसज्जित है।
चंद्रयान मिशन 3 में BHEL द्वारा निर्मित टाइटेनियम प्रोपेलेंट टैंक भी लगाया गया है गौरतलब है कि BHEL दो दशकों से भारत की अंतरिक्ष आकांक्षाओं को सफल बनाने के लिए #ISRO के साथ साझेदारी कर रहा है।