पंडित ललित मोहन शर्मा श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश मैं आयोजित “जलवायु परिवर्तन परिणाम एवं चुनौतियां” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो एन के जोशी,एवं अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
परिसर के निदेशक प्रो महावीर सिंह रावत द्वारा देश के विभिन्न राज्यों से आये सभी अतिथियों, शोधार्थियों का स्वागत करते हुए कहां मनुष्य आज जलवायु जलवायु परिवर्तन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारकों में से एक हो गया है।
यह यह परिवर्तन तापमान में वृद्धि या कमी, वर्षा में वृद्धि या कमी, मरुस्थलीकरण, अम्लीय वर्षा आदि के रूप में दिखाईपड़ती है सेमिनार के आयोजन सचिव एवं कला संकाय अध्यक्ष प्रो दिनेश चंद्र गोस्वामी द्वारा जलवायु परिवर्तन एवं चुनौतियां विषय पर विस्तृत जानकारी दी।
भूगोल विभाग एवं उत्तराखंड भूगोल परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस राष्ट्रीय सेमिनार मैं मुख्य अतिथि कुलपति प्रो जोशी ने कहा इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन वैश्विक समाज के समक्ष मौजूद सबसे बड़ी चुनौती है एवं इससे निपटना वर्तमान समय की बड़ी आवश्यकता बन गई है।
जलवायु परिवर्तन मौसम के पैटर्न में दीर्घकालिक बदलाव से है। सूर्य की गतिविधि में बदलाव या बड़े ज्वालामुखी विस्फोटों , मानव गतिविधियाँ जलवायु परिवर्तन का मुख्य चालक रही हैं ,
यह समय जलवायु परिवर्तन की दिशा में गंभीरता से विचार करने का है।
सेमिनार के मुख्य वक्ता एवं पर्यावरण के विशेषज्ञ डॉ प्रोमोड कांत पूर्व आईएफएस,,सदस्य, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकार पर मुख्य सलाहकार समूह, एनएचआरसी ने अपने संबोधन में कहा पेरिस समझौते का अनुच्छेद 5(1) सभी देशों के लिए कार्बन सिंक के रूप में वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कदम उठाना बनाया है।
उत्सर्जन को पूरी तरह से टाला नहीं जा सकता। शायद एकमात्र तरीका वातावरण सेकार्बन डाइऑक्साइड को दूर करना हैवायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को दूर करने के लिए जंगल ही एकमात्र विश्वसनीय उपकरण हैं, हालांकि अब उत्सर्जन स्रोत पर ही कार्बन डाइऑक्साइड को पकड़ना तकनीकी रूप से संभव है।
निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड प्रो सी डी सूठा ने कहा हमें प्राकृतिक के साथ-साथ समाज को लेकर विकास करना होगा तक विश्व मे गरीबी है तब तक विश्व में शांति नहीं हो सकती इसलिए गरीबी को दूर करना होगा दूर इसके लिए कृषि उत्पादक को बढ़ावा, खाद्य सुरक्षा आदि पर ध्यान देना होगा।
उद्घाटन सत्र के समापन में उत्तराखंड भूगोल परिषद के उपाध्यक्ष प्रो बी आर पंत द्वारा सभी का धन्यवाद दिया गया मंच का संचालन प्रो अरुण सूत्रधार, प्रो अंजनी प्रसाद दुबे द्वारा किया गया सेमिनार में आज दो तकनीकी सत्र आयोजित किए गए ।
प्रथम तकनीकी सत्र आर्थिक विकास का प्रभाव और जलवायु परिवर्तन के सामाजिक आयाम/जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और जनसंख्या के बीच संबंध विषय पर आयोजित किया गया इसमें मुख्य वक्ता प्रोफेसर के सी पुरोहित अध्यक्ष प्रो एस.सी.राय सह-अध्यक्ष: प्रोफेसर बी.आर. पंत रिपोर्टर डॉ. श्याम सिंह द्वारा संचालित किया गया इस तकनीकी क्षेत्र में13 शोध पत्रों कावाचन किया गया।
द्वितीय तकनीकी की सत्र जलवायु परिवर्तन, चरम घटनाओं और उनके निहितार्थों को समझना/जैव विविधता, पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के साथ उनके अंतर्संबंध की जांच करनाविषय पर आयोजित किया गया इसमें मुख्य वक्ता प्रो एस.सी राय अध्यक्ष प्रो. के.सी. पुरोहित सह-अध्यक्ष:प्रो सुमिता श्रीवास्तव द्वारा संचालित किया गया।
इस तकनीकी क्षेत्र में 27 शोध पत्रों कावाचन किया गया इस अवसर पर विज्ञान संकाय अध्यक्ष प्रो गुलशन कुमार ढींगरा वाणिज्य संकाय अध्यक्ष प्रो कंचन लता, प्रो वी पी सती प्रदेश के विभिन्न राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य,प्रोफेसर,शोधार्थी,छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।