शहद: मानव के लिए वरदान शहीद श्रीमती हंसा धनाई राजकीय महाविद्यालय अगरोड़ा टिहरी गढ़वाल के वनस्पति विज्ञान के सहायक प्राध्यापक भरत गिरी गोसाई ने शहद से होने वाले फायदे के बारे मे विस्तृत जानकारी प्रदान की।
उन्होंने बताया कि शहद जिसे संस्कृत मे मधु या मकरंद, अंग्रेजी मे हनी, पंजाबी मे शहत, मलयालम मे लावा, बंगाली मौ, फारसी मे अगवीन तथा तमिल मे त्येना कहा जाता है एक अर्द तरल चिपचिपा, हल्के भूरे रंग का, सुगंधित एवं मीठा पदार्थ है जोकि 80% चीनी एवं 20% जल से मिलकर बना होता है।
औषधीय गुणों से युक्त होने के कारण शहद को आयुर्वेद मे अमृत कहा गया है। शहद एक ऐसा उत्पाद है जोकि प्राकृतिक रूप से मधुमक्खियों द्वारा बनाया जाता है तथा जो कभी खराब नही होता है। शहद मे पाए जाने वाले पोषक तत्व: शहद मे एंटीबैक्टीरियल एवं एंटीसेप्टिक गुण होने के कारण इसका प्रयोग औषधि निर्माण मे किया जाता है।
शहद मे पर्याप्त मात्रा मे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन ए, बी एवं अल्प मात्रा मे सी, जिंक कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम फॉस्फोरस, पोटेशियम एवं सोडियम पाया जाता है जोकि सेहत के लिए फायदेमंद होते है।
प्राकृतिक शहद निर्माण मे मधुमक्खियों का योगदान: शोध द्वारा ज्ञात हुआ कि एक पौंड अर्थात 454 ग्राम शहद निर्माण हेतु मधुमक्खियों का झुंड लगभग 55 हजार मील की यात्रा करते हुए लगभग 20 हजार फूलो से शहद इकट्ठा करती है जोकि मधुमक्खियों की श्रमशीलता एवं अथक प्रयासो को दर्शाता है।
शोध द्वारा यह भी ज्ञात हुआ कि एक मधुमक्खी अपने जीवन काल मे एक चम्मच के बारवा हिस्सा जितना शहद का ही निर्माण कर पाती है। शहद का सेवन करने से लाभ: शोध द्वारा ज्ञात हुआ कि शहद खाने से शरीर के टॉक्सिंस बाहर निकल जाते है। साथ ही साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत एवं आंखों की रोशनी बढ़ती है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के अनुसार शहद को दूध के साथ पीने से ताकत बढ़ती है।
शहद को निंबू पानी के साथ पीने से मोटापा को नियंत्रित किया जा सकता है। शहद को मीठी सौंफ के साथ मिलाकर खाने से दिल मजबूत बनता है। शहद को काली मिर्च के साथ खाने से गले की खराश एवं सर्दी-जुखाम से राहत मिल सकती है। शहद को अनार के रस के साथ पीने से पेट संबंधित समस्याएं से छुटकारा मिल सकता है।
शहद को खजूर के साथ खाने से पाचन तंत्र को दुरुस्त किया जा सकता है। ज्यादा मात्रा मे शहद का सेवन करने से हानियां भी हो सकती है।
वैज्ञानिको के अनुसार बच्चे 20-25 ग्राम एवं वयस्क 40-50 ग्राम से अधिक शहद एक बार मे सेवन ना करे। समान मात्रा मे शहद मे घी अथवा तेल मिलाने से यह जहर बन सकता है। शहद की शुद्धता की पहचान: शहद की शुद्धता की पहचान के लिए गर्म पानी म शहद मिलाय जाता है, यदि शहद पानी मे घुल जाए है तो यह मिलावटी है और अगर यह पानी के नीचे बिना घुले बैठ जाए तो यह असली शहद है।
इसके अलावा शहद की शुद्धता के लिए सिरके का प्रयोग किया जाता है। सिरके के 4-5 बूंद मे बराबर मात्रा मे पानी एवं शहद मिलाने से यदि झाग बनता है तो शहद मे मिलावट है और यदि झाग नही बनता तो यह शुद्ध शहद है।
शहद आजीविका का साधन: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2021-2022 मे ₹1221.17 करोड़ मूल्य की प्राकृतिक शहद का निर्यात किया गया। भारत मे प्रतिवर्ष लगभग 1.25 लाख मैट्रिक टन शहद का उत्पादन होता है। शहद उत्पादन मे भारत दुनिया का प्रथम देश है।
सरकार द्वारा की जा रहे प्रयास: भारत सरकार ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन के लिए 3 वर्षों (2021 से 2022) के लिए ₹500 करोड़ आवंटित किए है, जिसका मकसद देश मे वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना एवं शहद की गुणवत्ता को बढ़ाना है। साथ ही साथ 5 राज्यों मे नई लैब एवं प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना स्थापना करना है, जिसके लिए सरकार मिशन मोड पर काम कर रही है ताकि किसानो की आमदनी बढ़े।
प्रधानमंत्री द्वारा मीठी क्रांति का आहवान: 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने हेतु मीठी क्रांति का आह्वान किया। मीठी क्रांति योजना 2020 मे लागू हुई जिसके तहत किसानों को ₹1लाख तक की आर्थिक सहायता दी जाती है।