हरिद्वार : जौनसार बावर की संस्कृति रीति रिवाज एवं परंपराओं पर आधारित बनी पहली फीचर फिल्म मैरै गांव की बाट हरिद्वार के पेंटागन माल में प्रारंभ की गई जिसका उद्घाटन हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र ङोभाल, उद्योग एसोसिएशन के चेयरमैन हरेंद्र गर्ग ने संयुक्त रूप से किया।

जौनसार बावर की पहली फीचर फिल्म “मैरै गांव की बाट” देहरादून के सेंट्रियो मॉल में 5 दिसम्बर से हाउसफुल चल रही है, विकासनगर उपासना टॉकीज में आज फिल्म देखने के लिए पिक्चर हॉल के बाहर टिकट की मारामारी हैl जौनसार बावर की जौनसारी भाषा विश्व सिनेमा के रिकॉर्ड में भी हमेशा के लिए दर्ज हो गई। उल्लेखनीय है कि इससे पहले उत्तराखंड में गढ़वाली व कुमाउनी भाषा की काफी फिल्में बन चुकी हैं, पर जौनसार बावर की लोकभाषा में यह पहली फिल्म है, जो बड़े पर्दे पर प्रदर्शित हो रही है।

पहली जौनसारी फ़िल्म “मैरै गांव की बाट” भले ही जौनसार बावर की संस्कृति को प्रचारित करने वाली है, बल्कि साथ ही इस क्षेत्र में रोजगार व कारोबार की दिशा में भी सकारात्मक बदलाव लाने वाली है। कई क्षेत्रों के पिछले अनुभव बताते हैं कि जिस जिस क्षेत्र की छोटी बड़ी फिल्म इंडस्ट्री बनी है वहां रोजगार में काफी इजाफा हुआ है। सिनेमा व संगीत के अलावा पर्यटन उद्योग पर भी चौतरफा प्रभाव पड़ता है। स्थानीय होम स्टे, रेस्टारेंट आदि उद्योगों पर भी स्थानीय सिनेमा बड़ा असर डालता है।

मैरै गांव की बाट” महज एक फ़िल्म नहीं है, बल्कि इससे प्रभावित होकर इस क्षेत्र में और भी कई फिल्मों का निर्माण होने वाला है। जिससे फिल्मकार क्षेत्र की नई नई लोकेशन फ़िल्म शूटिंग के लिए खोज कर देश विदेश में उन्हें प्रचारित करते रहेंगे। जिसका सीधा प्रभाव पर्यटन उद्योग पर पड़ता है। एक अनुमान के अनुसार नेपाल, पूर्वोत्तर भारत मे स्थानीय सिनेमा के बढ़ने का असर वहां के पर्यटन पर भी बढ़ता देखा गया। उसी कड़ी में जौनसार बावर में सिनेमा का पहला कदम पर्यटन उद्योग को भी बढ़ा सकता है।

जौनसार बावर से सटे हिमाचल के सिरमौर व शिमला जनपद में भी जौनसार की तरह की ही भाषा व संस्कृति है। हिमाचल में भी चूंकि बड़े पर्दे पर कोई फ़िल्म आज तक नहीं बन पाई तो वहां के लोगों में भी “मैरै गांव की बाट” का बेसब्री से इंतजार है।

हिमाचल के मशहूर लोकगायक विक्की चौहान और कुलदीप शर्मा ने भी पहली जौनसारी फ़िल्म “मैरै गांव की बाट” की रीलिज होने का स्वागत करते हुए अपील की है कि इस फ़िल्म को शिमला व पांवटा साहिब के सिनेमा हॉल में जरूर लगाया जाए। हिमांचल के लोग जल्दी से जल्दी हिमांचल के थियेटरों में फिल्म लगाने का अनुरोध कर रहे हैं।

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