Tuesday, October 14, 2025

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तालेड़ा महाविद्यालय में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई वाल्मीकि जयंती

तालेड़ा, राजकीय महाविद्यालय तालेड़ा में महर्षि वाल्मीकि जयंती बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई।

इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार के समस्त सहायक प्राध्यापक, छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य डॉ. बृजकिशोर शर्मा द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।

मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ. नेहा प्रधान ने अपने उद्बोधन में महर्षि वाल्मीकि जी के जीवन चरित्र, कृतित्व और उनकी रचनात्मक दृष्टि पर अत्यंत प्रभावशाली एवं भावपूर्ण प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि कैसे एक समय के भयावह डाकू रत्नाकर ने नारद मुनि के उपदेश से आत्मचिंतन किया और कठोर तपस्या के माध्यम से महर्षि वाल्मीकि के रूप में एक नये जीवन की शुरुआत की। वाल्मीकि जी की यह परिवर्तन यात्रा न केवल आत्मज्ञान की कहानी है, बल्कि यह इस बात का सशक्त उदाहरण है कि सच्चे मार्गदर्शन और दृढ़ संकल्प से जीवन की दिशा बदली जा सकती है।

उन्होंने आगे बताया कि वाल्मीकि जी द्वारा रचित महाकाव्य ’रामायण’ केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि मानव जीवन के नैतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्यों का प्रतीक है।

उन्होंने रामायण में वर्णित पात्रों और प्रसंगों के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि महर्षि वाल्मीकि ने श्रीराम के आदर्श जीवन को समाज के समक्ष इस रूप में प्रस्तुत किया कि वह धर्म, मर्यादा, करुणा और सत्यनिष्ठा का जीवंत उदाहरण बन गया।

उन्होंने कहा कि वाल्मीकि जी का उद्देश्य केवल श्रीराम के जीवन का वर्णन करना नहीं था, बल्कि उनके माध्यम से यह दिखाना था कि मानव जीवन का सच्चा अर्थ कर्तव्य, संयम और आदर्शों के पालन में निहित है।

डॉ. प्रधान ने रामायण के अनेक प्रसंगों जैसे श्रीराम का वनवास, भरत का त्याग, सीता की अग्निपरीक्षा और हनुमान की भक्ति का उल्लेख करते हुए बताया कि ये सभी प्रसंग आज भी समाज को नैतिकता, निष्ठा और समर्पण की प्रेरणा देते हैं।

अपने वक्तव्य के अंत में डॉ. नेहा ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि केवल एक कवि नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के प्रथम आदर्श आचार्य हैं, जिन्होंने साहित्य के माध्यम से मानवता के उत्थान का संदेश दिया। उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे वाल्मीकि जी के जीवन से प्रेरणा लेकर सत्य, सेवा और सदाचार के मार्ग पर चलें।

कार्यक्रम के दौरान महर्षि वाल्मीकि के जीवन एवं कृतित्व पर आधारित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. रितु वर्मा ने प्रश्न पूछे। इसमें विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुलक्षणा शर्मा ने किया। प्राचार्य महोदय डॉ बृजकिशोर ने प्रेरणादायी शब्दों के साथ कार्यक्रम का समापन किया। महाविद्यालय परिवार ने इस अवसर पर महर्षि वाल्मीकि जी के आदर्शों को जीवन में अपनाने और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

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