- हमें अपनी सामर्थ्य को बढ़ाना होगा, शिव और शक्ति बनना होगा: आचार्य बालकृष्ण
- अभ्युदय का अर्थ विद्या, शिक्षा, आज्ञापालन आदि प्रत्येक रूपों में सामर्थ्यशाली बनना है: आचार्य जी
- भगवान शिव भारतीय संस्कृति के संश्लेषण के प्राणतत्व हैं: एन.पी. सिंह
हरिद्वार: पतंजलि विश्वविद्यालय व पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज का तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव कार्यक्रम ‘अभ्युदय वार्षिकोत्सव’ के रूप में प्रारंभ हुआ।
यज्ञ अनुष्ठान के उपरान्त कार्यक्रम की शुरूआत विवि के कुलपति आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने दीप प्रज्ज्वलन कर की।
इस अवसर पर विवि के कुलपति आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने समस्त देशवासियों को महाशिवरात्रि तथा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए कहा कि आज का दिन शिव और शक्ति का दिन है।
उन्होंने कहा कि यहाँ उपस्थित सभी शिव और शक्ति के अंश हैं किंतु हमें स्वयं शिव और शक्ति बनना होगा। उनकी कृपा, शक्ति व प्रेरणा से हम गतिमान हैं। हमें उस शक्ति, सामर्थ्य व ऊर्जा को बढ़ाना होगा क्योंकि अभ्युदय का अर्थ भी यही है कि आप विद्या, शिक्षा, आज्ञापालन आदि प्रत्येक रूपों में सामर्थ्यशाली बनें।
आचार्य जी ने शिक्षा के साथ-साथ क्रीड़ा क्षेत्र में सामर्थ्यशाली बनने का आह्नान किया। उन्होंने कहा कि 25 से 30 वर्ष की आयु सीखने की आयु है, इस आयु में आप अपनी प्रवृत्ति जैसी बनायेंगे, जिन कार्यों की ओर आप प्रवृत्त होंगे, वो जीवनभर आपके सहचर बनकर आपके साथ में रहेंगे।
उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय में सभी प्रकार के कार्यक्रमों की गुणवत्ता दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, तभी देश-विदेश के विद्वतजन इसकी प्रशंसा करते हैं।
कार्यक्रम में भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष एन.पी. सिंह ने कहा कि आज के सभी कार्यक्रमों में प्रतिभागियों का प्रदर्शन अभ्युदय के मूल में निःश्रेयस की अभिव्यक्ति को प्रतिबिम्बित करता है।
उन्होंने कहा कि योगमूलक स्वातं=य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वतंत्रता तभी हो सकती है जब आत्मबोध हो और आत्मबोध तभी हो सकता है जब हम योग की साधना से जुड़ें।
कविराज मनोहरलाल आर्य ने कहा कि स्वामी रामदेव जी महाराज युगपुरुष हैं जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व में योग की गंगा प्रवाहित की। आचार्य जी वैद्यऋषि हैं जिन्होंने आयुर्वेद को समस्त विश्व में प्रकाशित किया है। साध्वी आचार्या देवप्रिया जी गार्गी और अनसूया की प्रतिमूर्ति हैं। ये त्रिमूर्ति हमारे विश्वविद्यालय के आधार स्तम्भ हैं, प्राण हैं जिनके दिशानिर्देशन में पतंजलि संस्थान उत्तरोत्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
इस अवसर पर विवि के छात्र-छात्रओं द्वारा कुलगीत के साथ-साथ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
डॉ. अलका गिरि तथा संगीत विभाग की टीम ने शिव स्तुति नृत्य तथा गंगा समूह ने शिव वन्दना नृत्य प्रस्तुत कर सभागार को शिवरात्री के रंग में रंग दिया। ध्यान योगी समूह द्वारा ध्यान योगी गायन प्रस्तुत किया गया।
बीएएमएस समूह द्वारा आर्टिस्टिक योग आत्मयोग तथा भक्ति योग प्रस्तुत किया गया। योग के विद्यार्थियों ने योग डेमो के माध्यम से योगासनों की विभिन्न प्रस्तुतियाँ दीं।
सांस्कृतिक महोत्सव में सरस्वती समूह, ज्ञान योगी समूह, कर्मयोगी समूह, एनसीसी समूह, गोदावरी समूह, बीए समूह, नर्मदा समूह, बीएनवायएस समूह, कृष्णा समूह तथा यमुना समूह आदि ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. विपिन दूबे रहे।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालयक के मानविकी संकायाध्यक्षा साध्वी आचार्या देवप्रिया, क्रय समिति की अध्यक्षा बहन अंशुल शर्मा, संप्रेषण विभागाध्यक्षा बहन पारूल शर्मा, भारत स्वाभिमान के मुख्य केंद्रीय प्रभारीगण भाई राकेश ‘भारत’ व स्वामी परमार्थदेव, विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल, कुलसविच डॉ. प्रवीण पुनिया, कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव, डॉ. मयंक अग्रवाल, आईक्यूएसी के समन्वयक प्रो. के.एन.एस. यादव, सहायक-कुलसचिव डॉ. निर्विकार, शोध संकायाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार पटैरिया, संकायाध्यक्ष शिक्षण प्रो. वी.के. कटियार, संकायाध्यक्ष योग विज्ञान प्रो. ओम नारायण तिवारी, संकायाध्यक्ष प्राकृतिक चिकित्सा डॉ. तोरण सिंह, परीक्षा नियंत्रक डॉ. अरविन्द कुमार, पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अनिल यादव कविराज डॉ. मनोहर लाल आर्य, साध्वी देवश्री, डॉ. शिल्पा धानिया, डॉ. निवेदिता, डॉ. आरती, डॉ. संगीता सहित पतंजलि विश्वविद्यालय तथा पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के सभी आचार्यगण, कर्मयोगीगण, शोधार्थी व विद्यार्थी उपस्थित रहे।