इंदर सिंह रावत राजकीय महाविद्यालय, पौखाल, टिहरी गढ़वाल में 12 दिवसीय उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षुओं ने स्थानीय फल-फूलों से अचार, चीड़ की पत्तियों(पिल्टा) व भीमल की छाल(सेलु) से हस्तशिल्प उत्पाद एवं भूसे से मशरूम उगाने के सीखे गुर।
इंदर सिंह रावत राजकीय महाविद्यालय, पौखाल, टिहरी गढ़वाल में 12 दिवसीय उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम छठवें दिवस से लेकर दशम दिवस तक कौशल विकास पर केंद्रित रहा जिनमें स्थानीय चीजों से स्वरोजगार देने वाले उत्पादों को बनाना सिखाया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य ने कहा कि स्वरोजगार हेतु सही निर्णय, अनुशासन, समय प्रबंधन, मनी मैनेजमेंट एवं रिस्क टेकर जैसे गुणों के साथ ही स्वरोजगार की ऊंची उड़ान भरी जा सकती है।
कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ अरविंद नारायण द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षुओं को इस कार्यक्रम से होने वाले सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभों को बताया और सभी को शत प्रतिशत उपस्थिति देने हेतु प्रेरित किया।
कार्यक्रम के छठवें दिन श्री घनश्याम जी द्वारा स्थानीय फल-फूलों जैसे गुरियाल (कचनार), तिमला, सेमल, लिंगुडा एवं आंवलाआदि से अचार बनाने का प्रशिक्षण दिया गया।
साथ ही उन्होंने रोजमेरी के उत्पादन से संबंधित विस्तृत जानकारी देते हुए इसके द्वारा स्वरोजगार करने के लिए प्रशिक्षुओं को प्रोत्साहित किया।
यह बताते चलें कि रोजमेरी का पौधा हार्ट एवं शुगर पेशेंट के लिए अत्यधिक उपयोगी है।
इस कार्यक्रम के सप्तम दिवस पर श्रीमती अनिता कोटनाला (कोटी) द्वारा भीमल की छाल(सेलु) से बनने वाले विभिन्न उत्पादों की जानकारी एवं प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें टोकरी, डिनरसेट, की-रिंग, फूलदान एवं उत्पाद बनाने में प्रयोग होने वाली विभिन्न साइज की रस्सियों को बनाना सिखाया और साथ ही यह बताया कि इससे स्वरोजगार कैसे शुरू किया जा सकता है.
प्रशिक्षण के अष्टम दिवस पर श्रीमती बबीता (कोटी) द्वारा चीड़ की पत्तियों (पिल्टा) का प्रयोग कर भी विभिन्न उपयोगी उत्पादों को बनाने की कला को प्रशिक्षुओं के साथ साझा किया गया । जिसमें उन्होंने चीड़ की टोकरी, फूलदान, टी कोस्टर, पेन स्टैंड आदि बनाने सिखाए एवं बच्चों ने बनाकर भी दिखाए।
प्रशिक्षण के नवम दिवस पर श्री दीपक नेगी (विशेषज्ञ) द्वारा प्रशिक्षुओं को डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गई तथा एक्टिविटी के तहत बच्चों से नए-नए आइडिया को भी बताने को कहा एवं उन आइडिया को नोट कर MSME पर रजिस्ट्रेशन करवाने भी सिखाया ।
उद्यमिता कार्यक्रम के दशम दिवस दिनांक 8 अप्रैल 2025 को डॉ पुष्पा झाबा द्वारा प्रशिक्षुओं को गेहूं के भूसे से मशरूम उगाने की विभिन्न विधियों को बताया गया एवं बच्चों द्वारा उसका प्रैक्टिकल कर बैग तैयार किए गए ।
डॉ झाबा ने बताया कि मशरूम उत्पादन कम लागत और ज्यादा मुनाफा देने वाला उद्यम है जिसे स्वरोजगार के तौर पर अपनाकर घर बैठे ही एक अच्छी आय बनाई जा सकती है।
साथ ही मेडिसिनल प्लांट अश्वगन्धा की जानकारी देते हुए उन्होंने इस प्लांट के विभिन्न रोगों जैसे स्वांस, कैंसर, अल्सर, अवसाद एवं तंत्रिका संबंधी विकारों को ठीक करने में उपयोगी बताया। जिसका उत्पादन करके स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा सकता है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के सभी दिवसों पर महाविद्यालय के सभी शिक्षक एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।