दिनांक 10 जून 2025: राजकीय व्यावसायिक महाविद्यालय बनास पैठाणी की नमामि गंगे इकाई द्वारा प्राचार्य प्रो. (डॉ.) विजय कुमार अग्रवाल के मार्गदर्शन में स्थानीय कोटेश्वर महादेव मंदिर कुट कंडायी में योगा शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें योगाभ्यास, पौराणिक वेद-पुराणों,नदियों की सभ्यता एवं संस्कृति पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्रीमती प्रियंका रावत जी भूतपूर्व जिला पंचायत सदस्य ने किया I नमामि गंगे नोडल डॉ. खिलाप सिंह ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत स्थानीय मंदिरों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से पूर्व योगाभ्यास के साथ-साथ पौराणिक वेद-पुराणो, गंगा की सभ्यता एवं संस्कृति पर व्याख्यानों का आयोजन किया जाएगा।

योग और गंगा दोनों ही हमारे भीतर की ऊर्जा को जागृत करने के माध्यम है I गंगा नदी को वेदों में एक पवित्र नदी के रूप में वर्णित किया गया है और इसे देवताओं की नदी माना जाता है I नदियाँ मानव सभ्यता की जननी रही है I प्राचीन काल से ही नदियों के किनारे सभ्यताओं का विकास हुआ है I सिंधु घाटी सभ्यता भारत की पहली प्रमुख शहरी सभ्यता थी, जो सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे विकसित हुई इस सभ्यता के प्रमुख नगरों में हड़प्पा, मोहनजोदड़ो शामिल है, जहाँ उन्नत नगर नियोजन, जल निकासी प्रणाली और व्यापारिक गतिविधियां पाई गईं I भारत में गंगा, जमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी जैसी नदिया न केवल जल स्रोत है बल्कि सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक जीवन की आधारशिला भी हैं।

आचार्य इंद्रदेव मंमगाई जी ने पौराणिक वेद-पुराणों पर व्याख्यान देते हुए कहा वेद भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की सबसे प्राचीन और पवित्र ग्रंथ माने जाते हैं l इन्हें श्रुति कहा जाता है जिसका अर्थ है सुनी गई यानी इन्हें महर्षियों ने दिव्या श्रुति के रूप में अनुभव किया और पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक परंपरा द्वारा संजोया गया।

वेदों की संख्या चार है वेदों में सबसे पहले और सबसे पुराना वेद ऋग्वेद है इसमें खगोल शास्त्र चिकित्सा मौसम आदि से जुड़ी जानकारी मिलती है दूसरा वेद यजुर्वेद है इसमें कर्म और ज्ञान के संतुलन की शिक्षा मिलती है सामवेद वेदों में तीसरा वेद है और इसे संगीत और काव्य का वेद कहा जाता है भारतीय शास्त्रीय संगीत का प्रारंभ सामवेद से माना जाता है अथर्ववेद वेदों में चौथा और विशेष महत्व वाला वेद है यह जीवन के सुख-दुख, स्वास्थ्य,परिवार, समाज, तंत्र-मंत्र, तकनीकी और धर्म इन सभी को समाहित करता है।

आचार्य जी ने पुराणो के बारे में बताते हुए कहा कि पुराणो की संख्या 18 है पुराण धर्म, इतिहास, नीति लोक कथाओं और ब्रह्मांड विज्ञान से जुड़ी कहानियों का संगीतिक और काव्यात्मक रूप से वर्णन करते हैं इनका उद्देश्य जनमानस को सरल भाषा में धार्मिक और नैतिक शिक्षा देना था I वेदों में प्रकृति के संरक्षण और उसकी रक्षा के लिए कई मंत्र और निर्देश दिए गए हैं।

प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के प्रतिनिधि योग शिक्षक श्री प्रताप सिंह रावत जी ने ॐ का जाप और गायत्री मंत्र का उच्चारण एवं भावार्थ के बाद श्वसन क्रिया को स्वस्थ एवं आयु वृद्धि के लिए कपालभाति प्राणायाम, एलर्जी एवं अनेक बीमारियों से मुक्ति के लिए अनुलोम विलोम, मन को शांत स्थिर और एकाग्रचित के लिए नाड़ी शोधन प्राणायाम एवं ध्यान क्रिया में भ्रामरी के बाद प्रार्थना एवं शांति पाठ मंत्रोचारण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

मुख्य अतिथि प्रियंका रावत जी ने कहा कि भारत में नदियां केवल भौगोलिक संरचना नहीं बल्कि जीवन दायिनी, संस्कृति वाहिनी और आध्यात्मिक धरोहर हैं इनकी संरक्षा, साफ-सफाई और सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखना हम सबका कर्तव्य है ताकि यह समृद्ध नदी संस्कृति आने वाली पीढ़ियों तक जीवित रहे I उन्होंने सभी को नदियों की स्वच्छता एवं संरक्षण की शपथ दिलाई I

ब्रह्माकुमारी बहन ममता ने नशामुक्ति देवभूमि अभियान के बारे में जानकारी देते हुए सभी को नशा मुक्ति की शपथ दिलाई I

कार्यक्रम में पंडित सुरेश मंमगाई, मंदिर के पुजारी शंभू प्रसाद नौटियाल, वीरेंद्र प्रसाद नौटियाल, गांधी सिंह, सैन सिंह एवं स्थानीय ग्राम सभाओं के निवासियों ने प्रतिभाग किया I उक्त जानकारी महाविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. प्रकाश फोंदणी ने   दी।

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