इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाया मुनव्वर राना की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। उनके खिलाफ हजरतगंज थाने में धार्मिक भावनाएं भड़काने की धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया गया है।

वहीं इसके बाद राणा की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें लखनऊ के पीचीआई अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

बताते चलें कि विगत 21 अगस्त 2021 को वाल्मीकि समाज और सामाजिक सरोकार फाउंडेशन संस्था के नेता पीएल भारती ने हजरतगंज कोतवाली में मुनव्वरराना के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराते हुए आरोप लगाया है कि राना ने देश के करोड़ों दलितों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, उनका अपमान किया है। राना ने हिंदुओं की आस्था को भी चोट पहुंचाई है।

वहीं, अंबेडकर महासभा के महामंत्री अमरनाथ प्रजापति ने भी मुनव्वर राना के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए कार्रवाई की मांग की है।

बताते चलें कि शायर मुनव्वर राना ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था, ‘महर्षि वाल्मीकि न केवल पवित्र ग्रंथ रामायण के रचनाकार हैं, बल्कि वाल्मीकि एक लेखक भी थे। तालिबानी भी दस साल बाद वाल्मीकि होंगे। हिन्दू धर्म में तो किसी को भी भगवान कह देते हैं।’

मुनव्वर राना के इस बयान के बाद जब उन पर एफआईआर दर्ज हुई तो उन्होंने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली। जहां हाईकोर्ट की डबल बेंच ने गिरफ्तारी न करने और मुकदमे में राहत देने वाली उनकी दोनों मांगों को ठुकरा दिया

हजरतगंज कोतवाली के इंस्पेक्टर श्याम बाबू शुक्ला ने बताया कि मामले में रिपोर्ट दर्ज कर जांच की जा रही है।

बता दें कि इससे पूर्व शायर मुनव्वर राना ने बृहस्पतिवार को अफगानिस्तान के हालात को भारत से बेहतर बताया था। राना ने तालिबान की तुलना आरएसएस, बीजेपी तथा बजरंग दल से करते हुए कहा था कि अफगानिस्तान से ज्यादा क्रूरता तो हिंदुस्तान में है। अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा उसका अंदरूनी मसला है।तालिबानी-अफगानी जो भी हैं, जैसे भी हैं, सब एक हैं। जैसे हमारे यहां बजरंग दल, बीजेपी और आरएसएस सब एक हैं। एक हजार साल पुराना इतिहास उठाकर देख लीजिए, अफगानियों ने कभी हिंदुस्तान को धोखा नहीं दिया है।

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