Tuesday, October 14, 2025

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यूकॉस्ट प्रायोजित ऑनलाइन आई.पी.आर. श्रृंखला का सफल आयोजन

यूकॉस्ट प्रायोजित ऑनलाइन आई.पी.आर. श्रृंखला का सफल आयोजन

आज दिनांक 14 अक्टूबर 2025 को राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मालदेवता, रायपुर (देहरादून) में उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा प्रायोजित आई.पी.आर. (बौद्धिक संपदा अधिकार) श्रृंखला के अंतर्गत “ओपन एक्सेस पब्लिकेशन” विषय पर एक ऑनलाइन व्याख्यान का सफल आयोजन किया गया। इस सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. आशीष कुमार, पुस्तकालयाध्यक्ष, दून विश्वविद्यालय रहे, जिन्होंने अपने सारगर्भित व्याख्यान में शोध प्रकाशन की पारंपरिक और ओपन एक्सेस प्रणालियों पर विस्तृत जानकारी प्रदान की।

कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो 0 विनोद प्रकाश अग्रवाल द्वारा किया गया तथा डॉ. उमा पपनोई द्वारा मुख्य वक्ता का जीवन वृतांत के साथ-साथ अतिथि वक्ता, प्राचार्य एवं सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम शोध के क्षेत्र में नए दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। कार्यक्रम का सफल संचालन एवं समन्वय डॉ. लीना रावत द्वारा किया गया।

मुख्य वक्ता डॉ. आशीष कुमार ने ओपन एक्सेस पब्लिकेशन के विभिन्न मॉडल गोल्ड, ग्रीन, हाइब्रिड एवं प्लेटिनम/डायमंड ओपन एक्सेस पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत शोध प्रकाशन की संख्या में विश्व में तीसरे स्थान पर है, किंतु उद्धरण और प्रभाव के स्तर पर सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने क्रिएटिव कॉमन्स लाइसेंस, शेर्पा रोमियो मॉडल और डायरेक्टरी ऑफ ओपन एक्सेस जर्नल्स (DOAJ) की जानकारी देते हुए शोधकर्ताओं को अपने कार्य को सुरक्षित और अधिक सुलभ बनाने के उपाय बताए।

उन्होंने पारंपरिक प्रकाशन प्रणाली की सीमाओं और उच्च लेख संसाधन शुल्क जैसी चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि ओपन एक्सेस पब्लिकेशन ही ज्ञान के समान वितरण और शोध की वैश्विक पहुँच का मार्ग है।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विनोद अग्रवाल ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि शोध आज के युग की आवश्यकता है और ओपन एक्सेस पब्लिकेशन जैसे विषयों पर संवाद ही गुणवत्तापूर्ण शोध संस्कृति की नींव रख सकता है।उन्होंने कहा कि मुक्त ज्ञान का प्रसार ही सच्चे अर्थों में शिक्षा और अनुसंधान का लक्ष्य होना चाहिए।

अंत में डॉ. अनीता चौहान ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया और मुख्य वक्ता, प्राचार्य, अतिथियों एवं सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन शोधकर्ताओं के लिए मार्गदर्शक एवं प्रेरणादायक सिद्ध होते हैं।

 

नोडल अधिकारी डॉ. कविता कला एवं सह-नोडल अधिकारी डॉ. डिम्पल भट्ट ने व्याख्यान आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम शिक्षकों और शोधार्थियों को बौद्धिक संपदा अधिकारों और मुक्त शोध प्रकाशन की दिशा में जागरूक करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी शैक्षणिक गतिविधियाँ न केवल शोध गुणवत्ता को बढ़ाती हैं, बल्कि संस्थान को अकादमिक उत्कृष्टता की ओर अग्रसर करती हैं।

यह कार्यक्रम शोध और ज्ञान के मुक्त आदान-प्रदान की दिशा में एक प्रेरक एवं सार्थक प्रयास सिद्ध हुआ।

कार्यक्रम में आई.पी.आर. समिति के सदस्य डॉ. सुमन सिंह गुसाईं, डॉ. विनोद शाह . डॉ.श्रुति चौकियाल सहित महाविद्यालय के अनेक प्राध्यापकों, शोधार्थियों एवं अन्य महाविद्यालयों के प्राध्यापकों ने भी सक्रिय सहभागिता की।

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