रक्षाबंधन पर्व मन बुध्दि शरीर और आत्मा की शुद्धि का पर्व है… नरेंद्र कंसुरिया

समूचे विश्व को भारत ने अजस्र अनुदान दिये भारतीयों ऋषि मुनियों ने कला, संस्कृति, साहित्य, संगीत, योग, दर्शन, वेदांत, त्याग, आयुर्वेद हर क्षैत्र में कीर्तिमान स्थापित कर प्राणी मात्र का कल्याण किया। यह विचार चित्तौड़ प्रांत के सह कार्यवाहक भाई साहब श्री नरेन्द्र कंसुरिया जी ने रक्षाबंधन पर्व, संस्कृत दिवस, अगस्त क्रांति #दिवस के अवसर पर गुरु तेगबहादुर मिलन केंद्र तानाजी नगर में आयोजित रक्षाबंधन समारोह में व्यस्त किए

उन्होंने रक्षाबंधन के महत्व मर्म को बताते कहा कि परिवार, समाज, राष्ट्र के बंधनों को स्वीकार कर समाज व राष्ट्र की रक्षा करना ही रक्षाबंधन हैं। संघ सनातन संस्कृति समाज स्व राष्ट्र व विश्व मानवता के कल्याण के लिए रक्षा बंधन पर्व मनाता है ,रक्षाबंधन पर्व मन बुध्दि शरीर और आत्मा की शुद्धि का पर्व है आज संस्कृत दिवस भी है हमारी संस्कृति हमारी बंधन मर्यादा में रहना सुख का प्रमुख मार्ग है उन्होंने कहा कि पंच परिवर्तन के माध्यम से संघ अपने शताब्दी वर्ष में भारत वर्ष व प्राणी मात्र के कल्याण के लिए प्रयत्नशील है।

प्रत्येक भारतीय को इस पवित्र अनुष्ठान में स्वामी विवेकानंद, महर्षि दयानन्द, गुरु गोविंद सिंह डाॅ 0 हेडगेवार, डॉ 0 कलाम आदि के पदचिन्हों पर चलकर अपने राष्ट्र को और अधिक मजबूत बनाना है।

कार्यक्रम अध्यक्ष श्री देवेंद्र सूद ने राष्ट्र हित के कार्यक्रमों में अधिक से अधिक युवाओं बच्चों की मात्र शक्तियों की भागीदारी पर बल दिया।

इस अवसर पर मिलन केंद्र के संचालक तारा सिंह ने बताया कि पर्व उत्सव में लार्ड कृष्णा स्कूल के निदेशक शिक्षा विद संजय शर्मा, परिषद अध्यक्ष दैवा नंद बैरवा, जी आर डागोर, शरद चौधरी, संगीत संस्कृति सेवी देवेन्द्र सक्सेना, साहित्य कार कमलेश कमल, अजय त्रिवेदी, देवेंद्र त्रिपाठी, भीम सिंह, आशा त्रिवेदी, सीमा चौधरी, किशन प्रजापति, अशोक यादव सहित बड़ी संख्या में स्वयंसेवक माता बहिनें बच्चे उपस्थित थे। सभी ने एक दूसरे को राष्ट्र रक्षा संकल्प सूत्र बांधा।

आरंभ में दैवा नंद बैरवा ने राष्ट्र भक्ति गीत से राष्ट्र भक्ति के प्रेरित किया।

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