कोटा,राजस्थान:  राजकीय कला कन्या महाविद्यालय, कोटा में शोध कार्य का प्रस्तुतीकरण हुआ।

महाविद्यालय के संगीत विभाग की शोधार्थी सुश्री रौशनी बानो ने डॉ रोशन भारती के पर्यवेक्षण में “सादल्लाह मेव के ‘पण्डुन का कड़ा’ में रागों का समावेश” विषयक शोध पूर्ण करने के पश्चात् आज महाविद्यालय के शोध एवं विकास प्रकोष्ठ में तत्वावधान में अपने शोध का सुपुर्दगी पूर्व प्रस्तुतीकरण किया।

महाविद्यालय प्राचार्य डॉ सीमा चौहान की अध्यक्षता एवं संगीत विभागाध्यक्ष श्रीमती प्रेरणा शर्मा की सह-अध्यक्षता में संपन्न इस प्रस्तुतीकरण में शोध पर्यवेक्षक डॉ रोशन भारती ने विषय की प्रासंगिकता पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए शोधार्थी रौशनी बानो द्वारा किए गए शोध कार्य की पृष्ठभूमि प्रदान की।तत्पश्चात् सुश्री बानो ने अपनी अध्याय योजना प्रस्तुत करते हुए सादल्लाह मेव एवं पण्डुन के कड़ा से उपस्थित विद्वज्जनों को अवगत कराया और इस शोध कार्य के महत्त्व को रेखांकित करते हुए शोध की उपलब्धियां बताईं।

सुश्री बानो ने बताया कि अठारहवीं सदी के अवसान के समय सादल्लाह मेव ने पांडवों की कथा को विभिन्न स्थानीय पांच रागों में प्रस्तुत किया, जिसमें राग यमन का प्रयोग प्रमुख रूप से करते हुए, भारत की गंगा-जमुनी तहजीब का श्रेष्ठ आयाम जोड़ा है। वर्तमान में राशिद खान इस संगीत कला को बढ़ावा दे रहे हैं। उपस्थित श्रोताओं को उनके प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर प्रदान करते हुए, आवश्यकतानुरूप विभिन्न कड़ों एवं रगों के प्रयोग को अपने स्वर में गाकर प्रस्तुत भी किया।

अंत में प्रस्तुतीकरण, शोध कार्य एवं प्रत्युत्तरों पर संतोष व्यक्त करते हुए प्राचार्य डॉ सीमा चौहान, संगीत विभागाध्यक्ष श्रीमती प्रेरणा शर्मा सहित संगीत एवं अन्य विषयों के वरिष्ठ संकाय सदस्यों डॉ राजेंद्र महेश्वरी, डॉ दीपा चतुर्वेदी, डॉ मनीषा शर्मा, डॉ मीरा गुप्ता, डॉ पुनीता श्रीवास्तव, मो. रिजवान खान, डॉ धर्म सिंह मीणा, डॉ जीतेश जोशी एवं अन्य विद्वान संकाय सदस्यों सहित ‘शोध एवं विकास प्रकोष्ठ’ प्रभारी डॉ टी एन दुबे ने शोधार्थी को बधाई एवं शुभकानाएं प्रदान की।

प्रस्तुतीकरण के दौरान संगीत विभाग की छात्राएं और केंद के शोधार्थी भी उपस्थित रहे।

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