कोटा: राजकीय कला कन्या महाविद्यालय, कोटा के शोध एवं विकास प्रकोष्ठ के तत्वावधान में आज दिनांक 19.08.2025 को कैलेंडर वर्ष 25 का प्रथम् छमाही शोध संगोष्टी के साथ-साथ दो शोधार्थियों द्वारा शोधकार्य पूर्ण कर लिए जाने के पश्चात् सुपुर्दगी पूर्व प्रस्तुतीकरण किया गया।
छमाही शोध संगोष्टी के अंतर्गत केद्र पर कार्यरत 26 शोधार्थियों ने जून 25 तक की शोध प्रगति को उपस्थित विद्वानों एवं शोधार्थियों के साथ साझा किया।

समारोह के मुख्य अतिथि डॉ विजय पंचोली, सहायक निदेशक, कोटा परिक्षेत्र एवं अध्यक्ष डॉ सीमा चौहान, प्राचार्य राजकीय कला कन्या महाविद्यालय, कोटा ने अपने शोध अनुभवों को साझा करते हुए शोध कार्यों एवं प्रस्तुतियों की सराहना की।
इसी क्रम में डॉ. बिन्दू चतुर्वेदी के पर्यवेक्षण में शोध कार्य की पूर्णता पर गृह विज्ञान विभाग की शोधार्थी श्रीमती सिमरन प्रीत कौर ने ‘‘राजस्थान की विशिष्ट लोक नृत्य वेशभूषाओं का प्रलेखन एवं आधुनिकीकरण’’ विषयक शोध का सुपुर्दगी पूर्व प्रस्तुतीकरण किया।
शोधार्थी श्रीमती कौर ने लोक नृत्य वेशभूषाओं के प्रलेखन के महत्व को समझाते हुए बताया कि किस तरह के प्रलेखन के साथ लोग अपनी पारम्परिक वेशभूषा को छोडकर आधुनिक परिधानों को अपनाते जा रहे हैं। धीरे धीरे पारम्परिक वेशभूषा लुप्त होने की कगार पर है, इसलिए इनका प्रलेखन करना आवश्यक है।
शोधार्थी ने घूमर, गैर, चरी, चकरी, भवई, कच्छी, घोडी आदि लोक नृत्यों की वेशभूषा की विस्तृत जानकारी दी। शोध कार्य के अंतर्गत शोधार्थी द्वारा पारम्परिक लोक नृत्य वेशभूषाओं से प्रेरणा लेकर निर्मित आधुनिक परिधानों को रैंप वाक द्वारा प्रस्तुत भी किया।
हिन्दी विभाग की शोधार्थी श्रीमती सुमन सैनी ने भी डॉ. हिमानी सिंह के पर्यवेक्षण में ‘राष्ट्रीय-सांस्क़तिक चेतना के संवाहक कुँवर चन्द्रप्रकाश सिंह जी का साहित्य में योगदान” विषयक शोध पूर्ण करने के पश्चात् अपना सुपुर्दगी पूर्व प्रस्तुतीकरण किया।
शोधार्थी ने कुँवर चन्द्रप्रकाश सिंह जी के साहित्य में निहित राष्ट्रीय-सांस्कृतिक चेतना के तत्वों का विस्तार से वर्णन करते हुए उनकी कृतियों में निहित देश-प्रेम, सांस्कृतिक बोध, प्रकृति वर्णन, मानवतावाद, यथार्थवाद, भक्ति-भावना आदि की जानकारी दी।
शोध कार्य के अन्तर्गत शोधार्थी द्वारा बताया गया कि कुँवर चन्द्रप्रकाश जी के साहित्य से प्रेरणा लेकर हम एक समृद्ध और खुशहाल समाज की स्थापना कर सकते हैं।
आयोजन में श्रीमती प्रेरणा शर्मा, डॉ अनीता तम्बोली, श्रीमती मीरा गुप्ता, डॉ सुनीता शर्मा, श्रीमती सपना कोतरा सहित विभिन्न विद्वान संकाय सदस्यों एवं शोधार्थियों सहित लगभग चालीस प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम का संचालन शोध एवं विकास प्रकोष्ठ की सदस्य डॉ मनीषा शर्मा एवं श्री संतोष कुमार मीणा ने किया। डॉ पारुल सिंह एवं डॉ प्रियंका वर्मा ने तकनीकि सहयोग प्रदान कर कार्यक्रम कार्यक्रम की निर्बाध प्रस्तुति को सफल बनाया।
प्रकोष्ठ संयोजक डॉ टी एन दुबे ने सबका स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूप रेखा के साथ-साथ उपस्थित प्रतिभागियों को राजस्थान सरकार की शोधवृत्ति एवं केंद्र सरकार की ओएनओएस योजना की जानकारी भी उपलब्ध कराई।
कार्यक्रम का समापन डॉ पारुल सिंह द्वारा अतिथियों एवं प्रतिभागियों के प्रति आभार ज्ञापन से हुआ।


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