इजरायल-हमास युद्ध के 46 वें दिन लोगों को राहत देने वाली सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है। इजरायल और हमास के बीच युद्ध को अल्प विराम करने को लेकर सहमति बन गई है।

साथ ही इजरायल-हमास युद्ध में संघर्ष विराम का अस्थाई ऐलान कर दिया गया है। कई शर्तों के आधार पर इजरायल ने इस समझौते को मंजूरी दी है।

इज़राइली कैबिनेट ने हमास के साथ संघर्ष विराम को मंजूरी दी। इजराइल कैबिनेट ने यह कदम हमास आतंकवादियों द्वारा बंधक बनाए गए लगभग 50 बंधकों की रिहाई के एवज में उठाया है।

इजरायल सरकार की ओर से जारी बयान के अनुसार, अगले 4 दिनों में हमास इन बंधकों को रिहा करेगा। इस दौरान इजरायल की ओर से हमला पूरी तरह से बंद रहेगा। हमास जिन बंधकों को रिहा करेगा उनमें से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। इन्हें 10 से 12 के समूह में रिहा किया जाएगा। जिन लोगों को रिहा किया जाएगा उनमें 30 बच्चे, 20 महिलाएं शामिल हैं।

इजरायल सरकार की ओर से कहा कि इजरायली सरकार सभी अपहृत लोगों को घर लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

ऐसे में अब गाजा में मौतों का तांडव, अस्थाई संघर्ष विराम के बाद कम होगा। इजरायल 50 बंधकों की रिहाई के बदले 150 फिलिस्तीनी कैदियों को भी रिहा करेगा। इजरायल-हमास युद्ध में अल्पविराम से हजारों युद्ध पीड़ितों की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े हैं। जंग के बीच फंसे लोगों ने राहत की बड़ी सांस ली है।

धुर दक्षिणपंथी मंत्री बेन-गविर और स्मोट्रिच ने बंधकों को मुक्त कराने के इस समझौते का विरोध किया, जबकि मंत्री सार ने समर्थन किया। शास नेता का कहना है कि अति रूढ़िवादी पार्टी समझौते के लिए मतदान करेगी।

बता दें कि 7 अक्टूबर को इजरायल पर किए गए हमास के हमले में अब तक कम से कम 1,200 नागरिक और सैनिक मारे गए थे। जबकि आतंकियो ने गाजा में 236 लोगों को बंधक बनाया था। इजरायल-हमास युद्ध को रोकने पर सहमति बनने के बीच आइडीएफ ने गाजा में जमीनी कार्रवाई के दौरान अपने 2 अन्य सैनिकों के मौत की घोषणा की है। जबकि हमास-नियंत्रित स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाजा में अब तक 14,128 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है।

वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में पूर्ण सत्र की अनौपचारिक बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने सोमवार को जोर देकर कहा कि भारतीय नेतृत्व का संदेश ‘‘स्पष्ट और सुसंगत’’ रहा है।

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कंबोज ने कहा, ‘‘भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के उन सभी प्रयासों का स्वागत करता है जो संघर्ष को कम करने की दिशा में हैं और फलस्तीन के लोगों को तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करने की अनुमति देते हों।’’