कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की वायनाड सीट को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज बड़ा ऐलान किया।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी रायबरेली सीट अपने पास रखेंगे, वायनाड छोडेंगे। वायनाड से प्रियंका गांधी उपचुनाव लड़ेंगी। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के आवास पर दो घंटे लंबी बैठक हुई थी, जिसमें फैसला लिया गया कि राहुल गांधी रायबरेली सीट से सांसद रहेंगे, प्रियंका गांधी वायनाड से उपचुनाव लड़ेंगी।
वहीं इस बड़े फैसले पर प्रियंका गांधी ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं बहुत खुश हूं कि में वायनाड के लोगों का प्रतिनिधित्व करने जा रही हूं। उन्होंने कहा कि मैं वायनाड को राहुल गांधी की कमी महसूस नहीं होने दूंगी।
उन्होंने कहा कि हम दोनों रायबरेली में भी होंगे और वायनाड में भी। वहीं पार्टी के इस फैसले पर राहुल गांधी ने कहा कि प्रियंका गांधी अच्छा काम करेंगी।
अब इस ऐलान के बड़े मायने निकल रहे हैं। एक तरफ अगर इस एक फैसले के बाद प्रियंका गांधी का चुनावी डेब्यू हो गया है तो वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी का रायबरेली सीट रखना भी बड़ी बात है। अब दोनों ही सीट पर गांधी परिवार का हो जाना कांग्रेस को फायदा दे सकता है।
समझने वाली बात यह भी है कि अगर प्रियंका गांधी जीत जाती हैं तो लोकसभा में दोनों भाई-बहन साथ में बीजेपी से मुकाबला करेंगे, कांग्रेस को यह स्थिति फायदा दे सकती है।
दक्षिण भारत से गांधी परिवार का चुनाव लड़ने का है लंबा इतिहास
बता दें कि गांधी परिवार का दक्षिण भारत से चुनाव लड़ने का लंबा इतिहास है। शुरुआत पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने की थी जब उन्होंने 1978 में चिकमंगलूर से चुनाव जीता था।
इसके बाद 1980 में मेडक से इंदिरा गांधी सांसद बनीं थी। आपातकाल के बाद रायबरेली सीट से जब इंदिरा गांधी का कमबैक करना मुश्किल लग रहा था उस वक्त कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट ने उनके राजनीतिक जीवन के लिए संजीवनी का काम किया।
1978 के उपचुनाव में उनके लिए एक सुरक्षित सीट तलाशी गई। ये सीट थी कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट। मौजूदा सांसद डीबी गौड़ा से सीट खाली करवाई गई, यहां इंदिरा के सामने चुनौती सीएम वीरेंद्र पाटिल से भिड़ने की थी।
कहा जाता है इस उपचुनाव के प्रचार के लिए इंदिरा गांधी खुद 17 से 18 घंटे तक प्रचार किया। चुनाव का नतीजा कांग्रेस के पक्ष में आया और इंदिरा गांधी ने 77 हजार वोटों से जीत हासिल की और उनके विपक्ष में खड़े 26 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
इंदिरा गांधी के बाद सोनिया गांधी 1999 में कर्नाटक के बेल्लारी से सांसद बनीं। हालांकि बाद में उन्होंने ये सीट छोड़ दी थी। राहुल गांधी 2019 और 2024 में केरल की वायनाड सीट से सांसद बने और अब प्रियंका गांधी वायनाड से चुनावी सियासत में एंट्री कर रही हैं।
राहुल के रायबरेली सीट रखने और प्रियंका को वायनाड से चुनाव लड़ाने का फैसला कांग्रेस के लिए बड़ा फैसला है क्योंकि प्रियंका का एक ओर चुनावी डेब्यू हो रहा है। दूसरा अगर वो चुनाव जीत जाती हैं तो दोनों भाई बहन पहली बार संसद में मिलकर बीजेपी का मुकाबला करेंगे। प्रियंका लंबे समय से राजनीति में सक्रिय तो हैं लेकिन चुनावी राजनीति में पहली बार कदम बढ़ा रही हैं। अब तक वो मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी की चुनाव लड़ने में मदद करते आई हैं। इसके साथ उनके वायनाड से जीतने पर कांग्रेस उत्तर और दक्षिण भारत के बीच अच्छा बैलेंस भी बना सकती है।