संजीव शर्मा,एनटीन्यूज़: पूरे विश्व मे प्रतिवर्ष 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस के रूप मे मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य आम लोगो को अंगदान के लिए प्रोत्साहन करना तथा जन जागरूकता फैलाना है। अंगदान दिवस पर डा० भरत गिरी गोसाईं का बहुत ज्ञानवर्धक लेख।

अंगदान है जरूरी: अंगदान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे इंसान (मृत अथवा जीवित) से स्वस्थ अंगों को निकाल कर किसी दूसरी जरूरतमंद शख्स मे ट्रांसप्लांट किया जाता है। विशेषज्ञो के अनुसार एक दाता अंगदान द्वारा 8 लोगो की जान बचा सकता है।

अंगदान की आवश्यकता: अंगदान जीवन का सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है। इससे दूसरे जरूरतमंद लोगो के जीवन को आसानी से बचाया जा सकता है। महान ऋषि दधीचि ने समाज की भलाई के लिए अपने हड्डियां तक दान दिया दे दिया था। भारत मे अंगदान करने वालो की संख्या बहुत कम है। हर साल देश मे लगभग 5 लाख लोगो की मौत सही समय पर अंग न मिल पाने के कारण होती है। जिसमे सबसे ज्यादा लीवर की बीमारी (2 लाख लोग) के कारण मौते होती हैं।
आंकड़े बताते है कि भारत मे किडनी के औसत वार्षिक मांग 2 लाख है, जबकि केवल 5 हजार किडनी अंगदान द्वारा प्राप्त होती है। इसी प्रकार ह्दय की औसत मांग 50 हजार है, जबकि केवल 15 उपलब्ध हो पाते है। देश मे प्रतिवर्ष मरीजों को लगभग 20 हजार लीवर की आवश्यकता होती है, जबकि केवल 8 सौ ही प्राप्त हो पाते है। प्रतिवर्ष 60 लाख लोगो को आंखों की जरूरत होती है, लेकिन केवल 30 हजार नेत्र नेत्रदान द्वारा प्राप्त होता है। इसलिए अंगदान समाज के लिए बहुत जरूरी है जिससे दूसरे जरूरतमंद लोगो की जान बचायी जा सकती है।

अंगदान मे दान की जाने वाली प्रमुख अंग main organs to be donated : गुर्दा, यकृत, आंते, कॉर्निया, प्लेटलेटस, हृदय, नशे, त्वचा आदि अंग अंगदान मे दान की जाती है।

अंगदान के प्रकार: अंगदान दो तरह से किया जा सकता है। पहला लिविंग डोनर- जीवित रहते हुए कोई भी व्यक्ति अपने शरीर का कोई भी अंग दान कर करता है तो उसे लिविंग डोनर कहा जाता है। दूसरा ब्रेन डेड अथवा केडेवर डोनर- मृत व्यक्ति से लिया गया अंगों का दान ब्रेन डेड अथवा केडेवर डोनर कहा जाता है।

अंगदान की प्रक्रिया Process of Organ donation: अपने जीवन काल अथवा मृत्यु के बाद कोई भी व्यक्ति अपने अंगों का दान कर सकता है। इसके लिए मानव अंगो के प्रत्यारोपण अधिनियम के तहत कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के पश्चात सरकार द्वारा दाता कार्ड प्रदान किया जाता है। अंग दान करते समय व्यक्ति के पास वैध दाता कार्ड होना तथा नजदीकी परिजनो को सूचित करना अनिवार्य है। भारत सरकार के अंगदान कानून अधिनियम 1994 के तहत अंगदान कानूनी तौर पर वैध है।

अंगदान की आयु सीमा Age of donation of organs : 18 वर्ष से अधिक आयु के किसी भी जाति, धर्म, संप्रदाय के कोई भी व्यक्ति जो स्वस्थ हो अंगदान कर सकता है। विशेषज्ञो के अनुसार व्यक्ति की उम्र अंगदान पर निर्भर करता है, जैसे कॉर्निया के लिए अधिकतम 100 वर्ष बोन मैरो, किडनी व लीवर के लिए अधिकतम 70 वर्ष, पेनक्रियाज के लिए अधिकतम 65 वर्ष तथा हृदय व फेफड़े के लिए अधिकतम 50 वर्ष निर्धारित किया गया है।

अंगदान मे शामिल भारत के प्रमुख संस्थान एवं एनजीओ: एम्स नई दिल्ली, अपना अंगदान संस्थान, एक जीवन को उपहार, गिफ्ट यू ऑर्गन फाउंडेशन, मोहन फाउंडेशन, दधीचि देहदान आदि प्रमुख संस्थान एवं एनजीओ अंगदान मे शामिल है।

ट्रांसप्लांट की समय-सीमा: मौत के 6 घंटे के अंदर हदय तथा फेफड़े, 12 घंटे के अंदर लीवर, 24 घंटे के अंदर किडनी एवं 72 घंटे के अंदर कॉर्निया का ट्रांसप्लांट जरूरी है।

ट्रांसप्लांट किये गये अंगो की समय-सीमा: अमेरिका की मशहूर साइंटिफिक रजिस्ट्री ऑफ ट्रांसप्लांट रेसिपीएंट के अनुसार डोनेट किए गए अंगो की एक निश्चित समय सीमा होती है। 70% मरीजों मे ट्रांसप्लांट किया गया लीवर 6 साल, 57% रोगियों में ट्रांसप्लांट किया गये पैंक्रियास केवल 5 साल तथा 52% मरीजों में ट्रांसप्लांट किये गये फेफड़े 5 वर्ष तक ही सही तरह से कार्य कर करते है।

अंगो की कालाबाजारी: एक तरफ जहां भारत सरकार अंगदान को प्रोत्साहन कर रही है। वही कुछ सरकारी, प्राइवेट अस्पतालो के डाक्टरो व कर्मचारियो की सांठगांठ से मरीजो के अंगों की कालाबाजारी की जा रही है। जिसमे किडनी (10 से 20 लाख), हृदय (20 से 30 लाख), कॉर्निया (15 से 20 लाख), सेरोगेसी (20 से 25 लाख), लीवर (5 से 10 लाख), बोन मैरो (20 से 25 लाख) आदि प्रमुख है। सरकार को समय रहते हुए सख्त नियम बना कर अंगो की कालाबाजारी पर रोक लगाना चाहिए। प्रत्येक नागरिक को संकल्प लेना चाहिए कि जरूरत पड़ने पर वह अपने अंगों का दान जीवित अथवा मृत रूप मे जरूरतमंदों को दान करेंगे।