• विश्व कविता दिवस पर सुनीति त्यागी का लेख: व्यक्तित्व और स्वातंत्र्य की खोज

कविता एक सारगर्भित आत्मकथ्य भी होता है साथ ही कविता में व्यक्तित्व और स्वतंत्र्य की खोज होती है I केदारनाथ अग्रवाल सौंदर्य के कवि हैं उनकी सौंदर्य चेतना संवेदनशील है वे सहज ढंग से अपनी एंद्रिक अनुभूतियों को व्यक्त करते हैं असफलता के बीच सफलता और असुंदरता के बीच सुंदरता की खोज कवि को निश्चय ही बड़ा बनाती हैI

संसार का हर कवि प्रेम से ऊर्जा ग्रहण करता है और उसे अपनी भाषा देने की कोशिश करता है कहीं कहीं, कभी-कभी कुछ कविताएं ऐसी झलक दे जाती हैं जैसे यह रचनाएं पारंपरिक काव्य संस्कार का परिणाम है जो घर की चारदीवारी से निकलकर उन्मुक्त गगन में झांक रही है I

कविताओ में एक संयत और अनुशासित मन स्थिति हो तो यथार्थ को चित्र देखने को मिलता है I यह चिंतन ही कवि को दार्शनिक व्यक्तित्व प्रदान करता है जिससे कविता कवि के चिंतन केंद्र में आकर खड़ी हो जाती है ऐसे ही आगे अज्ञेय के पूरे कृतित्व में मुक्ति शब्द का प्रयोग हुआ है यह शब्द कवि मन की मुक्ति लालसा को व्यक्त करता है, क्योंकि स्वतंत्र में ही व्यक्तित्व की सार्थकता भी सिद्ध होती है I

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