एनटीन्यूज़, 3 अगस्त 2021: वीर शहीद केसरी चंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डाकपत्थर में आज आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन सेल(IQAC) के अंतर्गत पांचवे चरण में पंचम व्याख्यान डॉ गीता सिंह, मनोविज्ञान विभाग, ए के पी (पीजी) कॉलेज, खुर्जा, बुलंदशहर,उत्तर प्रदेश द्वारा दिया गया। कार्यक्रम के अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य प्रोफेसर गोविंद राम सेमवाल द्वारा की गई।

कार्यक्रम के संयोजक डॉ राकेश कुमार जोशी, कार्यक्रम समन्वयक डॉ राकेश मोहन नौटियाल, कार्यक्रम सह समन्वयक एवं संचालक डॉक्टर पूजा पालीवाल, कार्यक्रम आयोजन सचिव डॉ दीप्ति बगवाड़ी, कार्यक्रम आयोजन समिति सदस्यों में डॉ आशाराम बिजलवान, डॉ राजेंद्र प्रसाद बडोनी, डॉ विनोद रावत, डॉ नीलम ध्यानी, डॉक्टर कामना लोहनी, डॉ माधुरी रावत एवं डॉ अमित गुप्ता द्वारा ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला की व्यवस्थाएं देखी गई।

आज़ादी के अमृत महोत्सव के अंर्तगत चल रही इस व्याख्यान शृंखला में डॉ गीता सिंह ने हिन्दी साहित्य के इतिहास में, खड़ी बोली के प्रथम कवि, पद्म भूषण पुरुस्कार से सम्मानित, मैथलीशरण गुप्त जी की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए गुप्त जी की काव्य पंक्तियां, “जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं है,वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं” के साथ अपना व्याख्यान प्रारम्भ किया।

उन्होंने बताया की वर्तमान परिदृश्य में तनाव और मानसिक स्वास्थ्य विषय पर समस्त छात्र छात्राओं को व्याख्यान देते समझाया कि कोरोना काल सभी के लिए एक अप्रत्याशित स्थिति रही है, जिसके कारण मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होना स्वाभाविक था।

आज इस वर्तमान समय में संपूर्ण संसार मानव अस्तित्व को बचाने की चुनौती से जूझ रहा है। गतिशील जीवन में अचानक ठहराव आना चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो, सामाजिक परिवेश, या शारीरिक स्वास्थ्य, सभी प्रभावित हुए हैं। आज व्यक्ति चिंता, अवसाद, भय और अनिश्चितता से घिरा हुआ है। इस समय हमें थोड़ी सी धनात्मक ऊर्जा चाहिए ताकि हमारा जीवन असुरक्षा और भय के परिवेश से निकलकर नई क्षमताओं और अवसरों में परिवर्तित हो सके। उन्होंने यह भी बताया कि हमें समाधान पर फोकस करना है अगर हम समस्या पर जोर देने लगेंगे तो शायद ही हम इन चिंताओं से मुक्त हो पाए। एक उत्तम जीवन जीने के लिए हमें सहयोग, प्रेम, दया जैसे मूल्यों से जीवन में ऊर्जा का संचार करते हुए तनाव रहित और स्वास्थ्य जीवन की ओर अग्रसर होना चाहिए। क्योंकि एक मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही देश व समाज के कल्याण की बात सोच सकता है।

व्याख्यान मे अर्थशास्त्र की विभाग प्रभारी डा मुक्ता डंगवाल द्वारा डॉ गीता सिंह को धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। व्याख्यान में प्राध्यापक वर्ग में डा आशुतोष त्रिपाठी, प्रोफेसर राधेश्याम गंगवार, डॉ राखी डिमरी, डॉ विजय सिंह नेगी, डॉक्टर निरंजन प्रजापति, डा अरविंद अवस्थी, डॉक्टर एम एस पंवार उपस्थित रहे। छात्र एवं छात्रा वर्ग में राहुल तोमर,पलक, विकास,मुस्कान, श्वेता, हर्ष, सृष्टि, पूजा,सबिना, रिंकी, फ़रमान, अंशिका, रहनुमा,गीतांजलि, आदि उपस्थित रहे।