डा0 संदीप भारदॄाज,एनटीन्यूज़: वीएसकेसी डाकपत्थर के समस्त प्राध्यापक वर्ग जो नई पेंशन प्रणाली से आच्छादित है उन्होंने राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के अद्ययक्ष डॉ अनिल बडोनी एवं अद्ययक्ष(महिला प्रकोष्ठ) डॉ योगिता पंत के नेतृत्व में आज नई पेंशन प्रणाली के विरोध में काला दिवस मनाया।
01 जनवरी, 2004 को केन्द्र सरकार ने पुरानी पेंशन समाप्त करके नई पेंशन प्रणाली लागू की। इसी क्रम को जारी रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने भी 01 अक्टूबर, 2005 से नई पेंशन प्रणाली(NPS) लागू की।
नई पेंशन प्रणाली शुरू करने के लिए शुरूआत में सरकार द्वारा नई पेंशन के कई फायदे व जबरदस्त लाभ के ख्वाब सरकारी अधिकारी व कर्मचारी को दिखाए गए। लेकिन जैसे-जैसे नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए तो इसके चौंकाने वाले परिणाम सामने आने लगे।
इसके तहत कर्मचारियों को वृद्धावस्था पेंशन से भी कम पेंशन मिलने लगी और कर्मचारियों का जमा धन शेयर मार्केट की स्थिति पर उन्हें प्राप्त होने लगा। ऐसी स्थिति में समस्त अधिकारी व कर्मचारी अपने को ठगा सा महसूस करने लगे।
इसके बाद कर्मचारियों ने सरकार से संगठन के माध्यम से पुरानी पेंशन बहाली की मांग शुरू की। समय-समय पर अधिकारी/कर्मचारी विभिन्न प्रकार के प्रतीकात्मक आन्दोलन, धरने व प्रदर्शनों के माध्यम से सरकार को चेताने का काम कर रहे हैं। सरकार द्वारा अधिकारियों/कर्मचारियों के उग्र आन्दोलन को देखते हुए इस मुद्दे पर सुनवाई हेतु वेतन विसंगति समिति को कर्मचारियों के पक्ष को सुनते हुए रिपोर्ट मांगी गयी।
सुनवाई के दौरान वेतन विसंगति समिति के अध्यक्ष श्री शत्रुघ्न सिंह जी ने माना कि पुरानी पेंशन बहाली का अधिकार केवल राज्य सरकार का है और सरकार चाहे तो नई पेंशन प्रणाली को समाप्त कर सकती है।
इसी क्रम में आज सम्पूर्ण उत्तराखंड में अधिकारी, शिक्षक तथा कर्मचारियों ने नई पेंशन लागू करने की तिथि 01अक्टूबर के विरोध में अपने-अपने कार्यालय/विद्यालय/महाविद्यालय में रहकर काली पट्टी बांधकर,काला मास्क पहनकर, हाथ में तख्ती रखकर, साथ ही काले झण्डे दिखाकर काला दिवस मनाया।
इस दौरान समस्त अधिकारी व कर्मचारी वर्ग ने सरकार से तत्काल पुरानी पेंशन बहाली करने की मांग करते हुए घोषणा की कि नई पेंशन प्रणाली बंद न करने के विरुद्ध विधानसभा चुनाव में सरकार को इसके घातक परिणाम भुगतने को तैयार रहना होगा।
महाविद्यालय में काला दिवस कार्यक्रम में डॉ आशाराम बिजल्वाण, डॉ मुक्ता डंगवाल, डॉ आर पी बडोनी, डॉ राकेश मोहन नौटियाल, डॉ नीलम ध्यानी, डॉ दीप्ति बगवाड़ी, डॉ माधुरी रावत, डॉ योगेश भट्ट, डॉ निरंजन प्रजापति, डॉ अमित गुप्ता, डॉ राजकुमारी भंडारी, डॉ पूजा पालीवाल, डॉ अनुराग भंडारी, डॉ पूरण सिंह चौहान आदि प्राध्यापक उपस्थित रहे।