राजकीय महाविद्यालय अगरोड़ा टिहरी गढ़वाल के वनस्पति विज्ञान विभाग मे कार्यरत डॉ० भरत गिरी गोसाई ने लंपी स्किन डिजीज के बारे मे विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि लंपी स्किन डिजीज (एल०एस०डी०) एक वायरस जनित घातक संक्रमित बीमारी है जोकि मुख्यतः गायों मे पायी जाती है।

यह वायरस मच्छरो, मक्खियो, दूषित पानी, संक्रमित लार एवं संक्रमित चारा द्वारा तेजी से फैलता है। यह एक कैपरोपॉक्स वायरस है जिसे नीथलि॓ग वायरस भी कहते है। लंपी वायरस की वर्तमान मे 83 प्रजातियां खोजी जा चुकी है।

सामान्यतः इससे पशु गठिया रोग भी कहा जाता है। यह रोग मुख्यतः पशुओ के त्वचा को संक्रमित करने के फलस्वरुप गांठो एवं घावों का निर्माण करता है। लंपी स्किन डिजीज सर्वप्रथम दक्षिण अफ्रीका के जांबिया मे 1929 मे देखा गया था। उसके बाद यूरोप, रूस एवं कजाकिस्तान मे 2012 मे, 2019 मे बांग्लादेश तथा 12 अगस्त 2019 को भारत मे सर्वप्रथम उड़ीसा राज्य मे लंपी स्किन डिजीज की पुष्टि हुई थी।

घातक है यह बीमारी

देश के कई राज्यों सहित राजस्थान मे बहुत तेजी से लंपी स्किन डिजीज फैल रहा है, जोकि बेजुबान पशुओ के लिए प्राण घातक साबित हो रही है।

वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ० लक्ष्मण सिंह के अनुसार लंपी स्किन डिजीज से पीड़ित पशुओ मे मृत्यु दर 1से 5% तक है। संकर नस्ल की गोवंशो मे यह बीमारी सर्वाधिक फैल रही है। आंकड़ों के अनुसार राजस्थान मे 29 लाख 157 गाये लंपी स्किन डिजीज से संक्रमित हो चुकी है जिनमे से अभी तक लगभग 50 हजार 366 गायों की मौत हो चुकी है।

एक आंकड़े के मुताबिक उत्तर प्रदेश मे करीब 21 हजार गाये संक्रमित हो चुकी है, जिनमें से लगभग 350 गायों की मौत हुई है। पंजाब राज्य मे 1 लाख 26 हजार मवेशिया इस रोग से प्रभावित हुए है अब तक 10 हजार से अधिक मवेशिया इस बीमारी की वजह से जान गवा चुके है। संक्रमण के कारण राज्य मे 15 से 20% दुग्ध उत्पादन मे कमी आई है। मध्यप्रदेश मे भी 10 हजार से अधिक गायो के संक्रमित होने की सूचना मिल रही है।

मध्यप्रदेश मे भी यह बीमारी घातक सिद्ध हो रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक मध्यप्रदेश के 20 जिलों मे फैली इस घातक बीमारी से करीब 8 हजार से भी अधिक गायों की मृत्यु हो चुकी है। ये सभी आंकड़े भयावक है। बहुत तेजी से फैल रही लंपी वायरस के संक्रमण से गायो को कैसे बचाया जाए यह अपने आप मे एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

लंबी स्किन डिजीज के लक्षण

वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ० नरेंद्र गांधी के अनुसार लंपी स्किन डिजीज के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित है:- 1.पशुओं के शरीर का तापमान काफी बढ़ जाता है अर्थात पशुओं को तेज बुखार आना शुरू हो जाता है और दुधारू पशु दूध देना कम कर देते है।

2. पशुओं के शरीर मे जगह-जगह पर 2 से 5 सेंटीमी० तक की गांठें बन जाती है जोकि धीरे-धीरे पकना शुरू हो जाता है।

3.धीरे-धीरे संक्रमण के कारण शरीर पर अल्सर जैसे घाव बन जाते है, इन घावो मे विषाणु के संक्रमण के फलस्वरूप मवाद (पस) का निर्माण होता है।

4. ये गांठें पशुओं के गर्दन, थूथुन, नासिका, जननांग, आंखों की पलकें, थन, पेट, पूछ अथवा पूरे शरीर की त्वचा पर पाई जाते है।

5.मुंह के अंदर गांठें बनने से मवेशियों के मुंह से अधिक लार निकला है तथा भूख मे भी कमी आ जाती है।

6. नासिका द्वार एवं फेफड़ों मे संक्रमण के कारण निमोनिया का खतरा रहता है।

लंपी स्किन डिजीज के संक्रमण को रोकने के उपाय अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ० पीयूष रंजन के अनुसार लंपी स्किन डिजीज के संक्रमण को रोकने के लिए निम्न उपाय कारगर है:-

1.संक्रमित मवेशियों को स्वस्थ मवेशियों से अलग रखना चाहिए

2. रोग के लक्षण दिखते ही तुरंत नजदीकी पशु अस्पताल मे जाकर पशु चिकित्सको की सलाह लेनी चाहिए

3. यह बीमारी मक्खियों, मच्छरों, संक्रमित चारा एवं दूषित पानी से फैलता है इसलिए पशुपालको को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए

4. दैनिक रूप से डिसइन्फेक्शन का स्प्रे करना चाहिए 5.रोजाना पशुओं को पौष्टिक व संतुलित आहार देना चाहिए

6.पशु चिकित्सक के परामर्श एवं सलाह के बिना स्वयं संक्रमित पशुओं का उपचार न करे।

7. पशुपालक अपने पशुओं को टीका अवश्य लगाये।

लंपी वायरस का इलाज

वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ० निखिल वाष्षेय के अनुसार लंपी वायरस का अभी तक कोई कारगर इलाज नही है। बचाव के माध्यम से ही हम इस संक्रमण से निजात पा सकते है। उनके अनुसार लंपी वायरस के संक्रमण को निम्न तरीके से रोका जा सकता है:-

1. मवेशियों के शरीर का तापमान बढ़ने पर पशु चिकित्सक के सलाह पर पेरासिटामोल एवं मिलोक्सिकन का इंजेक्शन देना चाहिए।

2. मवेशियों मे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए लिवामिसोल का इंजेक्शन देना चाहिए। बड़े पशुओं के लिए 15 से 20 मिली० तथा छोटे पशुओं के लिए 5 से 7 मिली० 15 दिन मे 2 बार अवश्य देना चाहिए।

इंसानों मे नही फैलता लंपी स्किन डिजीज

वरिष्ठ पशु रोग विशेषज्ञ डॉ० प्रशांत कांबली के अनुसार लंपी स्किन डिजीज एक गैर जूनोटिक डिजीज है यानी कि मवेशियों से इंसानो मे नही फैलता है।

यह संक्रमण केवल संक्रमित पशुओं से स्वस्थ पशुओं मे ही फैलता है। अभी तक इंसानो मे इस रोग के संक्रमण की पुष्टि नही हुई है। संक्रमित मवेशियों के दूध के सेवन से भी यह वायरस इंसानों मे नही फैलता है।

फिर भी एहतियात के तौर पर दूध को 100 डिग्री सेल्सियस पर उबालकर ही सेवन करना चाहिए।

सरकार द्वारा की जा रही पहल

लंपी स्किन डिजीज के संक्रमण को देखते हुए भारत सरकार द्वारा अभियान चलाकर गोवंशीय पशुओं को निःशुल्क टीका लगाया जा रहा है।

लंपी वायरस को लेकर भारत सरकार हाई अलर्ट पर है। वायरस से निपटने के लिए सरकार ने टोल फ्री नंबर भी जारी किए है, जिस पर पशुपालक इस रोग से संबंधित सटीक जानकारी, सलाह एवं परामर्श पशु चिकित्सकों एवं पशु रोग विशेषज्ञों द्वारा निःशुल्क प्राप्त कर सकते है। सभी राज्य सरकारे भी अपने स्तर पर इस संक्रमण को रोकने के लिए लगे हुए है।

 

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