December 13, 2025

Naval Times News

निष्पक्ष कलम की निष्पक्ष आवाज

वेलेंटाइन डे पर देवेंद्र कुमार सक्सेना का शिक्षाप्रद लेख

  • सबसे करना प्रेम जगत में यही धर्म सच्चा है… देवेंद्र कुमार सक्सेना

देवेंद्र कुमार सक्सेना आप राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा में  संगीत विभाग में  तबला वादक के पद पर कार्यरत हैं. वेलेंटाइन डे पर  देवेंद्र कुमार सक्सेना का लेख

14 फरवरी को पश्चिमी देशों में वेलेंटाइन डे प्रेम दिवस के रूप में मनाया जाता है प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत में भी 30 प्रतिशत से अधिक टीन ऐज युवा इस दिन सारी हदें पार कर जाने की कोशिश करते हैं ।

उन्हें कोई कितना ही समझाएं वे कुछ भी समझ नहीं पाते हैं। जब प्यार का भूत सर से उतरता है तब सच्चाई का सामना करना मुश्किल होता है।

यह सब नासमझी में , मार्गदर्शन के अभाव में हो रहा हैं लेकिन इसकी वजह है घर परिवार समाज में सम्मान विश्वास, प्रेम, आत्मीयता का अभाव। चाहे पति-पत्नी हो, माता पिता हो, बहिन भाई हो, सास बहूं इत्यादि हो इन सभी रिश्तो में निःस्वार्थ प्रेम का अभाव हो रहा है स्वार्थ, लालच, उपेक्षा एवं अहंकार बढ़ रहा है। मनुष्य अपने आप को अकेला पा रहा हैं।

जगजीत सिंह की मखमली आवाज में एक ग़ज़ल हम सभी ने सुनी होगी – ” हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी,

फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी। ”

यह सच है कि व्यक्ति भरे-पूरे घर परिवार और समाज में रहते हुए भी तन्हाइयों का शिकार हो रहा है। वह अपनी संतानों और परिवारजनों की उपेक्षा

प्यार और सम्मान के अभाव में डिप्रेशन का शिकार होकर अपने जीवन के अनमोल पलो को इंटरनेट मोबाइल फोन के साथ बिताने लगा है। मुझे समाज सेवी संगठनों और संस्थाओं के माध्यम से प्रौढ और वृध्द जनों से स्कूल और कॉलेज में विद्यार्थियों से बातचीत कर उन्हें प्रेरित करने का अवसर मिलता है।

आप सरकारी गैरसरकारी संस्थानों रेलगाड़ी बस हवाई जहाजों में यात्रा के दौरान लोगों को मोबाइल पर व्यस्त होता देखेंगे। यदि कोई उनका कीमती सामान भी उठा लें तो भी वे मोबाइल नहीं छोडते है।

भारतीय संस्कृति से प्रेरित हो 

ऋषियों के तप त्याग तेज गुण मानव धर्म महान की।

भूली हुई कहानी फिर से याद करो बलिदान की।

हमें अपनी भारतीय संस्कृति जीवन दर्शन और ऋषि परम्परा को नहीं भूलना चाहिए।

हमारी संस्कृति के अनुसार सारा विश्व हमारा परिवार है।

हमें अपने परिवार के सदस्यों को अलावा विश्व के प्राणी पशु पक्षियों से स्नेह करना चाहिए।

जाति धर्म सम्प्रदाय भाषा क्षेत्र से उपर उठकर सबसे पहले स्वयं और अपने राष्ट्र से प्रेम करना चाहिए।

राष्ट्र हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।

जाति धर्म और परिवार से पहले राष्ट्र प्रेम।

बसाएं एक नया संसार कि जिसमें झलक रहा हो प्यार..

विद्यार्थी शिक्षा और विद्या से प्यार करें अपने माता-पिता और गुरु का सम्मान करें।

राष्ट्र के नागरिक राष्ट्र से प्रेम करे। विश्व के नागरिक विश्व मानवता से प्यार करें ।

सभी प्राणियों से प्यार करें।

नफरत हिंसा आतंकवाद का अतं तभी होगा जब यह स्वीकार करें कि – – सबसे करना प्रेम जगत में यही धर्म सच्चा है….

तभी प्रेम दिवस को हम सही अर्थों में समझ सकते हैं।

लेखक: देवेंद्र कुमार सक्सेना

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