संजीव शर्मा, हरिद्वार: शांतिकुंज में स्काउट् एवं गाइड्स के कौशल को और अधिक निखारने के उद्देश्य से हुए पांच दिवसीय राज्य पुरस्कार पुनर्बोधन जाँच शिविर का आज समापन हुआ।
यह जांच शिविर गायत्री विद्यापीठ शांतिकुंज की व्यवस्था मण्डल प्रमुख श्रीमती शेफाली पण्ड्या के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ। गौरतलब हो कि शांतिकुंज को उत्तराखण्ड राज्य में स्काउट गाइड का एक अलग जनपद के रूप में मान्यता प्राप्त है। यहाँ के स्काउट्स एवं गाइड्स अपने सेवा, सहयोग एवं कार्यशैली में विशेष स्थान रखते हैं।
शिविर के समापन सत्र को संबोधित करते हुए गायत्री विद्यापीठ की संरक्षिका श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि बाल्यावस्था जीवन का महत्त्वपूर्ण समय है। बाल्यावस्था में शारीरिक तथा मानसिक विकास में स्थिरता आती है। मानसिक विकास की स्थिरता शारीरिक तथा मानसिक शक्तियों को दृढ़ता प्रदान करती है। बालक की चंचलता घटने लगती है, उसका मस्तिष्क परिपक्व होने लगता है।
शिविर आयेाजक ने बताया कि पांच दिन चले इस सत्र में प्रथम, द्वितीय, तृतीय सोपान के अतिरिक्त राज्य पुरस्कार
पुनर्बोधन जाँच शिविर में शांतिकुंज जनपद के 49 स्काउट्स एवं गाइड्स ने प्रतिभाग किया।
इन्हें अनेक विषय विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन दिया गया। शिविर के दौरान आग जलाना, कम से कम साधन में भोजन बनाना, लाठी व रस्सी से तंबू का निर्माण करना, कैम्प फायर, फर्स्ट एड आदि का प्रशिक्षण दिये गये। साथ ही विभिन्न परीक्षाएँ भी ली गयी। इनमें से उत्तीर्ण हुए स्काउट गाइड अपने अगले सोपान तथा राज्यपाल पुरस्कार के लिए पात्रता अर्जित करेंगे।
प्रशिक्षण शिविर में एलओसी स्काउट श्री नरेन्द्र सिंह, एलओसी गाइड आराधना शर्मा, गायत्री विद्यापीठ के प्रधानाचार्य श्री सीताराम सिन्हा, मंगल सिंह, भुवन पंत, आशुतोष, उमा बघेल, रूपम चौबे, कमलेश आदि ने स्काउट गाइड को प्रशिक्षण दिया।