शिक्षक दिवस पर देवेंद्र कुमार सक्सेना का उनके बेस्ट टीचर पूज्य गुरुदेव आचार्य श्रीराम शर्मा जी के नाम पत्र……….

पूज्य गुरुदेव,

सादर चरण स्पर्श

अद्वितीय है निर्माणों में गुरुओं का निर्माण ।

जिनने फूंके चलती फिरती प्रतिमाओं में प्राण ।।

पूज्य गुरुदेव, आपने दीक्षा के समय बताया कि धर्म का रूप आज पूजा पाठ, तिलक, छापा मंदिर दर्शन स्नान थोड़ा दान पुण्य कर देने तक सीमित नहीं है यह धर्म क्षेत्र में प्रवेश द्वार हो सकता है किंतु धर्म की समग्र धारणा आत्म संयम, उदारता, पीड़ा एवं पतन निवारण, ज्वलंत देश भक्ति और समाज सेवा लोक सेवा है जो हमें प्रतिदिन करनी चाहिए हम 5 व्यक्तियों की निःस्वार्थ निःशुल्क मदद तो कर ही सकते हैं।

1980 से मैं आपके शिक्षा और दीक्षा लेने के बाद प्रतिदिन कम से कम 5 से 25 लोगों की रोज मदद करता हूँ । अभी तक लाखों लोगों, विद्यार्थियों की मदद का सौभाग्य आपके इस अकिंचन शिष्य को प्राप्त हुआ है..साथ ही राष्ट्रीय एकता और अखंडता ..में आस्था रखता हूं

आपके सानिध्य में योग प्राणायाम मेडिटेशन का जो प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है उसे

राजस्थान पत्रिका पाई के माध्यम से लगभग 5 वर्ष तक निःस्वार्थ योग मेडिटेशन एवं संगीत आदि सिखाने का भी मौका मिला…..

न मुझे पुरस्कार चाहिए न मुझे चुनाव में खड़ा होना है। गुरुदेव मैं आपकी दी हुई सद्बुद्धि सदप्रेरणा की वजह से दुःखी और पीड़ित व्यक्तियों के चेहरे पर मुस्कान देखकर बहुत आनंद का अनुभव करता हूँ।

कभी-कभी निःस्वार्थ निःशुल्क मदद के इस पवित्र अभियान के लिए अपने परायों की प्रशंसा और आलोचना का सामना करना पड़ता है। अपने लोग ही टांग खींचने हैं… किंतु गुरुदेव आपकी दी गई शिक्षा-

संग्राम जिंदगी है लडना उसे पड़ेगा ।

जो लड़ नहीं सकेगा आगे नहीं बढेगा ।।

एक दिन ही जी मगर इंसान बनकर जी

बसाएं एक नया संसार कि जिसमें झलक रहा हो प्यार

मानव मात्र एक समान परम पिता की सब संतान

जैसी आदर्श शिक्षा की वजह से सुखी जीवन जी रहा हूं और लोगों के चेहरे पर मुस्कान देखकर आत्म सुख और आत्म आनंद की उपलब्धियां हासिल कर रहा हूं।

अभी तक अनगिनत विद्यार्थियों को शिक्षा प्रेरणा दायी लेखन, समाज सेवा, संगीत, योग शिक्षा, पत्रकारिता, व्यसन मुक्ति, पर्यावरण, राष्ट्रीय एकता, अखंडता, समता से जोड़ने का काम किया..

पूज्य गुरुजी आपकी वजह से मैं अकिंचन श्रध्देय डॉ प्रणव पण्डया जी कुलाधिपति देव संस्कृति विश्व विद्यालय के सानिध्य में भारत, अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड नेपाल आदि देशों की सांस्कृतिक यात्रा करके भारतीय संस्कृति संगीत का प्रचार प्रसार किया। भारतीय संगीत, योग प्राणायाम एवं राष्ट्रीय मिशन कन्या भ्रूण हत्या रोकने की मुहिम में 1500 से अधिक मंचों पर सहभागिता के अवसर प्राप्त हुए हैं।

जिससे मैं बहुत खुश हूं। मेरे कई सहपाठी शिक्षा मंत्री, जज, प्रोफेसर, व्यापारी, डॉक्टर, इंजीनियर, साहित्यकार हैं और वे सम्पन्नता का जीवन जी रहे हैं… यह प्रसन्नता की बात है।

किन्तु मैं आपकी दी हुई शिक्षा सादा जीवन उच्च विचार।

संयम बरतें रहे उदार।। का पालन करते हुए एक समाज संस्कृति सेवी

लोक शिक्षक का सादगीपूर्ण जीवन जी कर आत्म आनंद का अनुभव करता हूँ।

अत्यधिक लोग व्यक्तिगत हितों के लिए काम करते हैं किन्तु राष्ट्र व समाज हित भूल जाते हैं… आपने शिक्षा दी कि

अधिकारो का वह हकदार।

कर्तव्यों से जिसको प्यार।।

अतः मेरा पूरा प्रयास रहता है कि गायत्री मैं

राष्ट्र धर्म सर्वोपरि राष्ट्र हित सर्वोपरि!

के लिए समर्पित रहूं

अंत में मैं आपके श्री चरणों में शत शत नमन वंदन करता हूँ..आपका सूक्ष्म सानिध्य आशीर्वाद सदैव मुझ पर एवं राष्ट्र के करोड़ों देश भक्त लोगों पर बना रहे

” जो नहीं दे सका कोई भी आजतक पूज्य गुरुदेव वह दे दिया ।

प्राण में प्रेरणा, भाव संवेदना, बुद्धि को श्रेष्ठ चिंतन दे दिया आपने ।।

प्रेषक

देवेंद्र कुमार सक्सेना तबला वादक संगीत विभाग राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा