शिक्षक दिवस पर अंतिमा कुमारी “अनन्त द्वारा रचित  पूज्य मां एवं आदरणीय गुरूजनों के चरणों में शिष्या की पंक्तियां समर्पित

सादर चरण वन्दन!!!!!

दुनिया में हर रिश्ते देखें परन्तु
आप जैसा कोई नहीं गुरूवर।।
जिस दिन संसार को देखा
मां रूपी गुरु ने जग दिखलाया।
जीवन के हर संघर्ष में
हर दम साथ निभाया गुरूवर।
पाठशाला में जब भेजा तो उन,
अक्षरों से भाषा ज्ञान दिया गुरूवर।

वसुधैव कुटुम्बकम का दिव्य ज्ञान दिया गुरूवर।
आगे… उचित दिशा में
मंजिल तक पहुंचाया गुरूवर ,
जिसे सब अकेला छोड़ गए
उसे जीने की उम्मीद दी गुरूवर।
हर समय सही मार्गदर्शन से,
संघर्ष ,तप सिखाया गुरूवर,
कभी जीवन की शिक्षा देकर
कभी संगीत सेवा भक्ति से।
जीवन के हर क्षण को,
सुंदर संगीत मय बनाया गुरूवर।
आज समय की बहती धारा में,
मंगल घड़ी की शुभ बेला में।
एक दिव्य शक्ति के प्रतीक ,
गुरूवर के चरण कमलों में
बारम्बार अभिनंदन ,वंदन।
मुझ अबोध सेवक को ,जग सेवा
का पावन अवसर मिलता रहे गुरूवर ।
अबोध, अज्ञान ,नादान हूं मैं,
ज्ञान का दान मिलता रहे गुरूवर!!!
अवगुण हो दूर
सरस सफल जीवन जीयू गुरूवर ।
जानी अनजानी भूलों को क्षमा कर
अपने चरणों में स्थान दीजिये गुरूवर!!!!
ये जग ईश्वर की बगिया
इस बगिया का सेवक बना दीजिए गुरूवर ।

मिलता आशीष आपका,
कष्ट संघर्ष को जीत पाऊंगी।
इस पतंग डोर तुम्हीं हो
तुम्हीं से गगन छू जाऊंगी।
दुनिया के हर रिश्ते देखे परन्तु,
आप जैसा पवित्र कोई कहाँ हैं गुरूवर ।।

आप सभी आदरणीय गुरूजनों को मेरा सादर प्रणाम तथा सभी को शिक्षक दिवस की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें आप सभी का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे ।मेरे संगीत के एवं शिक्षा के गुरू जनों को समर्पित

अंतिमा कुमारी “अनन्त”
एम.ए. संगीत
राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा