- माता पिता ही हो अज्ञान। कैसे बनेगी श्रेष्ठ संतान।।
देवेंद्र कुमार सक्सेना एक समाज सेवी, तबला वादक राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा का प्रेरणादायी लेख…….
” मां तुमने किस जाहिल इंसान से शादी कर ली.. क्या देखा ऐसे इंसान में न ढंग की नौकरी न तुम्हारे और तुम्हारे खानदान के बराबर औकात न शिक्षा.. न सक्ल न अक्ल
युवा बेटी अपने पिता का दिनभर ऐसे व्यंग्य वाणों से अपमान करती है और मां…. चुपचाप सुनती रहती है….. कभी पिता समझाने या गलत बात का विरोध करने लगे तो मां…. बेटी के सुर में सुर मिला कर अपने पति को ही अपमानित करने लग जाती है। उसे पुलिस कानून और अपने पावर फुल खानदान की धौंस दिखाती है।
यह कहानी है एक कलाकार की… जिसने लगभग 26 साल पहले अपनी बोस(Boss) से विवाह किया था। एक दो साल सब ठीक चला फिर तुनक मिजाज गुस्सैल पत्नि ने एक बेटी को जन्म दिया पिता दिन रात दोनों की सेवा और सम्हाल करने लगा। माता-पिता के लालन-पालन में कुछ साल निकले…. बेटी बड़ी हो गई लगभग 15 साल ठीक ठाक से गुजर रहे थे… पति ने अपने वेतन और अर्थव्यवस्था का सर्वेसर्वा अपनी कम्यूटर की जानकार पत्नि को बना दिया घर की हर चीज कार टी वी खाना सब पर पत्नि और पुत्री ने पकड़ बनाली…. ओन लाइन शापिंग दोनों ही करने लगी…..
कुछ दिनों बाद अचानक बेटी अपनी मां के साथ ही पिता को प्रताड़ित करने लगी पिता परेशान बेटी बहुत शालीनता से बातचीत कर रहीं थीं यह अचानक क्या हो गया वह अपनी मां द्वारा पिता को डोमिनेट करते हुए देखती अचानक पिता के साथ वह भी करने लगी।
वह व्यक्ति मानसिक रूप से तनाव ग्रसित होने लगा उसका स्वास्थ्य गिरने लगा त्वचा का रंग काला होने लगा। जो पत्नि पति की सुंदरता पर मोहित हुई थी अब वह उसे कुरूप कहकर जलील करने लगी पति और पिता समाज के भय से दस साल से कष्ट सह रहा है।
पत्नि ने पति के परिवार से भी सम्बन्ध तोड़ दिया जन्म मृत्यु शादी विवाह में न खुद जाती है और न अपने पति और संतान को जाने देती है।
अपनी मां की गलत नीतियों और षड्यंत्रों में बेटी भी शामिल हो गई…
एक दूसरी घटना एक पिता की है जो शराब पीकर रोज पत्नि और बच्चों को परेशान करता था घर में दिन रात तनाव का वातावरण रहता था एक रात मैं अपने परिवार के साथ कहीं से आ रहा था सर्दियों की रात थी शराबी पति ने अपनी पत्नी और बच्चों को कड़कड़ाती सर्दी में घर से बाहर निकाल दिया जब मैंने उन्हें देखा तो उसी समय दरवाजा खुलवाया और उनके परिवार के सदस्यों घर के अंदर भिजवाया…. उस व्यक्ति को अहसास कराया कि तुम्हारा बेटा भी ऐसे ही नशा करने लगेगा…….. यह कहानी अनगिनत परिवार की है..
एक गांव की छात्रा अपने शराबी पिता से पीड़ित होने कारण अपनी मां के साथ शहर में किराये के मकान में रहने को मजबूर हैं।
माता-पिता दोनों माता और पिता दोनों का ही अपने बच्चों को संस्कार देने में बहुत पढ़ा था होता है अपनी संतान को संस्कारित बनायें
उपरोक्त घटनाओं से दुखी होकर मैं यही कहूंगा कि पति और पत्नी परिवार रूपी गाड़ी के दो पहिए होतें है। गाड़ी में सवार परिवार आगे बढ़ नहीं सकता जब तक दोनों मिलकर प्यार और विश्वास प्रेम और शांति से आगे नहीं बढ़ते। अपनी कमियों को दूर करें
ऐसी मां की बेटी फिर दूसरे परिवार को कैसे खुशी दे सकेगी। जो अपने पिता से घृणा करती है उन्हें अपनी मां के साथ अपमानित करती है वह अपने पति और सास ससुर को कैसे सम्हाल सकेगी।
वही दूसरी ओर जब आदमी शराब पीकर घर में कलेश करता है तो बच्चों की मानसिकता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और बच्चे भी उसी को देखकर वैसे ही आदतें सीखते हैं
आदमी आदमी को सुहाता नहीं।
आदमी से अरे डर रहा आदमी।
हाल इतना बुरा है कि विश्वास भी,
आदमी पर नहीं कर रहा आदमी।।
गृहस्थ एक तपोवन जिसमें संयमित शालीन संतानें जन्म लेती है। मीठा बोले सम्हाल कर बोले…. किसी ने सच ही कहा है..
“लफ़्ज़” “आईने” हैं……..
*मत इन्हें “उछाल” के चलो
“अदब” की “राह” मिली है तो……
*”देखभाल” के चलो*
मिली है “ज़िन्दगी” तुम्हे……
*इसी ही “मकसद” से,
“सँभालो” “खुद” को भी और….
“औरों” को भी “सँभाल” के चलो