हरिद्वार: जहाँ पूरी दुनिया में पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मची हुई है। और तो यह भी जा रहा है कि अगला विश्व युद्ध पानी को लेकर ही होगा। लेकिन पानी की एहमियत को आम आदमी समझ नहीं रहा है। यहां तक की पानी के स्रोत्रों को पाटकर वहां आलाीशान इमारतें खड़ी की जा रही हैं।

अब सरकार ऐसे तालाबों की जानकारी जुटा रही हैं, जिन्हें पाटकर वहां निर्माण किया गया है। सरकार अब तालाब के स्थानों पर हुए निर्माणों को ध्वस्त कर पहां पर पुन तालाब व पोखरों का अबाद करने की रणनीति पर कार्य कर रही है।

यदि ऐसा हुआ तो उत्तराखण्ड की बात छोड़ दें तो केवल हरिद्वार जनपद में ही सैंकड़ों लोगों के आशियाने उजड़ जाएंगे और भू माफियाओं पर भी शिंकजा कसा जा सकेगा।

उत्तराखंड में किसी जमाने में 3000 छोटे-बड़े तालाब हुआ करते थे। जिनमें हरिद्वार व उधमसिंह नगर में तालाबों की संख्या सबसे अधिक थी।

ऐसे में अब उत्तराखंड में भी लापता तालाबों की खोज शुरू हो गई है। केंद्र सरकार के भू जल संरक्षण के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने भी इसके लिए कवायद तेज कर दी है। राज्य सरकार एक बड़े अभियान के साथ उन तमाम अतिक्रमणों पर बुलडोजर चलाने जा रही है, जहां कभी तालाब हुआ करते थे। भारत सरकार भू जल संरक्षण के लिए तमाम प्रयास कर रही है।

भारत सरकार का जल शक्ति मंत्रालय छोटी-बड़ी नदियों को अविरल और निर्मल बनाने के साथ ही अब एक बड़ी पहल शहरों और गांवों के उन तालाबों को पुनर्जीवित करने की है जो समय के साथ लुप्त हो गए हैं।

उत्तराखंड सरकार को इसके लिए भारत सरकार ने एक पत्र भेजा है। पत्र में प्रदेश में तालाबों की स्थिति को सुधारने की बात कही गई है। साथ ही जिन तालाबों पर अतिक्रमण हुआ है, उन्हें भी मुक्त करवाने की बात पत्र में कही गई है। केंद्र सरकार से मिले इस पत्र के बाद राज्य सरकार ने कवायद तेज कर दी है।

हरिद्वार जिले में एक समय में सबसे अधिक तालाब हुआ करते थे। जहां अब समय के साथ कंक्रीट के जंगल खड़े हुए हैं।यहां बस्तियां बन गईं। जिसके कारण तालाब यहां से गायब हो गये।

केंद्र सरकार चाहती है कि तालाबों के ऊपर हुए अतिक्रमण को राज्य सरकारें मुक्त कराएं। इन तालाबों को फिर से पुनर्जीवित किया जाये। अब राज्य सरकार उधमसिंह नगर व हरिद्वार जनपदों में पुराने तालाबों की खोजबीन में जुट गई है। इसके लिए दोनों ही जिलों के जिलाधिकारियों को रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया है। इस रिपोर्ट में तालाबों की पुरानी स्थिति, अतिक्रमण से संबंधित पूरी जानकारी होगी।

सरकार में जलागम विभाग संभाल रहे सतपाल महाराज की मानें तो केंद्र सरकार ने जो भी काम दिया है, उसे राज्य सरकार तेजी से पूरा करेगी।

सतपाल महाराज ने कहाकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि जमीन के अंदर जल की मात्रा अगर सही रहेगी तो किसानों और जनता दोनों को ही इसका फायदा होगा। सतपाल महाराज की माने तो इसमें थोड़ा समय जरूर लगेगा, लेकिन इसके परिणाम आने वाले सालों में बेहद अच्छे होंगे।

बता दें कि हरिद्वार जनपद में कनखल, लक्सर, नारसन, रूड़की, भगवानपुर आदि शहरी व ग्रामीण इलाकों में मिलाकर सैंकड़ों तालाब थे, जिनमें से अधिकांश पर निर्माण किया जा चुका है।

हरिद्वार की उपनगरी कनखल में सैंकड़ों वर्ष पुराना तालाब जिसे जोहड़ कहा जाता था वहां आलीशान  पुरुषोत्तम बिहार अपार्टमेंट बनाया जा चुका है। अब इस योजना के तहत उस पर भी बुलडोजर चलने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।