पेपर लीक मामले के आरोपी हाकम के रिजल्ट पर बुलडोजर चलाने गई टीम को ग्रामीणों का भारी विरोध का सामना करना पड़ा।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक मामले में आरोपी मास्टमाइंड हाकम के तहसील मोरी के सांकरी में स्थित रिजॉर्ट पर अतिक्रमण तोड़ने पहुंची टीम का ग्रामीणों ने विरोध किया।
ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे किसी एक रिजॉर्ट को टारगेट कर अतिक्रमण हटाना सही नहीं है। प्रशासन सभी जगह अतिक्रमण चिन्हित करे और तब सभी जगह कार्रवाई हो।
वन विभाग, स्थानीय पुलिस और प्रशासन टीम के समझाने पर भी ग्रामीण नहीं माने और धरने पर बैठ गए। वहीं, हाकम सिंह की पत्नी बिसौली देवी ने कहा कि इस संपत्ति से हाकम सिंह का कोई लेना देना नहीं है। यह संपत्ति मेरे पिता की है इसकी रजिस्ट्री मेरे नाम पर है। प्रशासन इसे तोड़ नहीं सकता।
नकल माफिया हाकम सिंह का सांकरी में देवदार की लकड़ी से बना आलीशान रिजॉर्ट गोविंद वन्य जीव विहार की भूमि पर है। रिजॉर्ट का संचालन भी अवैध तरीके से किया जा रहा था। इसके अलावा हाकम सिंह ने सरकारी भूमि पर कब्जा कर सेब के दो बगीचे भी बनाए हैं। इन सभी बातों की पुष्टि एसटीएफ और राजस्व पुलिस की संयुक्त जांच में हुई थी।
कुछ समय पहले राजस्व विभाग व गोविंद वन्य जीव विहार द्वारा संयुक्त रूप से अवैध अतिक्रमण को लेकर नाप जोख की गई थी। नाप जोख में वन विभाग के मुनारे क्षतिग्रस्त पाए गए। वन विभाग द्वारा क्षतिग्रस्त मुनारों की दोबारा मरम्मत कार्य किया गया। वन भूमि के अवैध अतिक्रमण को लेकर चेतावनी बोर्ड लगाए गए और अतिक्रमण की गई भूमि को सील किया गया था।
लेकिन अब अवैध अतिक्रमण के ध्वस्तीकरण का निर्णय लिया गया और आज ध्वस्तीकरण की कार्यवाही शुरू की जानी है। मंगलवार सुबह हाकम के रिजॉर्ट में वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर वन विभाग की टीम पहुंची। रिजॉर्ट में पांच भवन हैं। इसमें से तीन वन भूमि पर हैं और दो राजस्व भूमि पर। आज वन विभाग भूमि पर बने भवनों को तोड़ने की कार्रवाई होगी। राजस्व विभाग के दोनों भवनों पर कार्रवाई के लिए सात अक्तूबर तक का समय लिया गया है।
रिजॉर्ट देवदार की लकड़ियों से बना है। वन विभाग की टीम की ओर से कार्रवाई को देखते हुए ग्रामीणों ने पहले ही रिजॉर्ट की छत से कीमती लकड़ियां और ठत निकालाना शुरू कर दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि अगर भवन टूटेंगे तो इससे हाकम की पत्नी का नुकसान कम होगा।जांच में हाकम के राजस्व विभाग की 1.128 हेक्टेयर भूमि पर बने आलीशान रिसॉर्ट सहित तीन भवन राजस्व भूमि पर चिन्हित किए गए हैं। जबकि दो भवन और 0.907 हेक्टेयर भूमि पर 130 पेड़ों का सेब का बागीचा गोविंद वन्यजीव विहार राष्ट्रीय उद्यान की भूमि पर चिन्हित किया गया है।
इन रिसॉर्ट का निर्माण पिछले 12 वर्षों के अंतराल में हुआ है। इन रिसॉर्ट को बनाने की न तो कहीं से अनुमति ली गई और न इनका कोई पंजीकरण किया। जो पूरी तरह से अवैध हैं। जांच के बाद अवैध रिसॉर्ट को ध्वस्त करने का निर्णय लिया गया है।