• 02 नवंबर, बुधवार को होगा अक्षय/आँवला नवमी। 
  • इस दिन आँवले के पेड़ की पूजा से भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी होती हैं अति प्रसन्न। 

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिष संस्थानों मे एक ब्रज किशोर ज्योतिष संस्थान, प्रताप चौक, सहरसा के संस्थापक ज्योतिषचार्य पंडित तरुण झा जी ने बतलाया हैं की
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय/आँवला नवमी मनाई जाएगी।

हिंदू धर्म में कई वृक्षों को पूजनीय माना गया है, इन्हीं में से एक है आंवला/ अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा कर उसी के नीचे भोजन करने का विधान है।

आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है, मान्यता है कि इस दिन इनकी पूजा से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती है और जीवन में खुशहाली आती है, इस दिन गरीबो को दिया दान कभी क्षय नहीं होता, यदि संभव हो तो कल के दिन गरीबो को भोजन, वस्त्र,पैसा इत्यादि दान देना चाहिए,माता लक्ष्मी की विशेष कृपा रहती हैं।

मान्यता के अनुसार, लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन करवाया। इसके बाद स्वयं भोजन किया, जिस दिन मां लक्ष्मी ने शिव और विष्णु की पूजा की थी, उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि थी। तभी से कार्तिक शुक्ल की नवमी तिथि को आंवला नवमी या अक्षय नवमी के रूप में मनाया जाने लगा।

मिथिला पंचांग के अनुसार,आंवला नवमी का पर्व 02 नंवबर, बुधवार को मनाया जाएगा।

अक्षय /आंवला नवमी का महत्व:-

1) -पद्मपुराण के अनुसार आंवले का वृक्ष साक्षात विष्णु का ही स्वरूप माना गया है. कहते हैं आंवला नवमी के दिन इसकी पूजा करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।

2)-धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवला वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु, ऊपर ब्रह्मा, स्कंद में रुद्र, शाखाओं में मुनिगण, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण और फलों में प्रजापति का वास होता है. इसकी उपासना करने वाले व्यक्ति को धन, विवाह, संतान, दांपत्य जीवन से संबंधित समस्या खत्म हो जाती है।

3)-आंवले की पूजा करने से गौ दान करने के समान पुण्य मिलता है. सुख-समृद्धि और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अक्षय नवमी का दिन बहुत उत्तम फलदायी माना गया है।