हरिद्वार: सूर्य ग्रहण के तुरंत बाद इस बार चंद्र ग्रहण आठ नवंबर को होगा। 15 दिनों में यह दूसरा ग्रहण है जो दृश्यमान होगा।

चन्द्र ग्रहण के कारण देव दीपावली का आयोजन एक दिन पहले यानि सात नवंबर को मनाया जाएगा। ज्योतिष के मुताबिक एक पक्ष में दो ग्रहण होने के प्रभाव नकारात्मक होते हैं। प्राकृतिक आपदाओं के साथ ही मौसम में बदलाव, भूकंप और आतंकी घटनाएं हो सकती हैं।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार चंद्रग्रहण का सूतक नौ घंटे पहले ही आरंभ हो जाएगा। 8 नवम्बर को ग्रहण की शुरुआत दोपहर 2 बजकर 41 मिनट बजे से होगी और शाम को 6 बजकर 20 मिनट तक ग्रहण काल रहेगा।

भारत में चंद्रग्रहण चंद्र उदय के साथ शाम 5 बजकर 20 मिनट बजे से दिखने लगेगा। यह चंद्रग्रहण मेष राशि में होगा और सूतक प्रातः 8 बजकर 20 मिनट से शुरू होगा। जो कि शाम 6 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगा।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार  देव दीपावली के दिन चंद्र ग्रहण लगने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। महाभारत कालीन ग्रस्तास्त सूर्यग्रहण के बाद ग्रस्तोदित चंद्रग्रहण का संयोग दो सौ साल बाद ऐसी युति बन रही है। इसमें चार ग्रह वक्री हो रहे हैं।

मंगल, शनि और सूर्य व राहु आमने-सामने आएंगे। भारत वर्ष की कुंडली में तुला राशि पर सूर्य, चंद्रमा, बुध और शुक्र की युति बन रही है। इसके साथ ही शनि कुंभ राशि में पंचम मिथुन राशि में नवम भाव पर मंगल की युति विनाशकारी योग बना रहा है।

यह विश्व पटल के लिए अच्छे योग नहीं हैं। शनि और मंगल के आमने-सामने होने से षडाष्टक योग, नीचराज भंग और प्रीति योग का बन रहा है। साल का यह आखिरी चंद्रग्रहण मेष राशि में लगेगा। ऐसे में इस राशि के जातकों को विशेष सावधानी बरतनी पड़ेगी।

यदि 15 दिनों में दो ग्रहण होते हैं तो प्राकृतिक आपदाएं आती हैं या मौसम में अचानक बड़ा बदलाव हो सकता है। सीमाओं पर तनाव बढ़ सकता है। आतंकी घटनाओं में वृद्धि हो सकती है। कुछ जगहों पर दुर्घटनाएं बढ़ेंगी। औद्योगिक विकास कार्यों में गिरावट आ सकती है। व्यवसायिक वर्ग में भी चिंता बनी रहेगी।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार चन्द्र ग्रहण का प्रभाव मेष राशि वाले जातकों पर अधिक होगा। इस जाति के जातकों को कष्ट उठाना पड़ सकता है। वृष राशि के जातकों को हानि और मिथुन वालों को लाभ होगा। इसी तरह कर्क राशि के जातकों के लिए ग्रहण सुखदायी होगा। सिंह राशि वालों को अपमान का सामना करना पड़ सकता है। कन्या राशि वालों के लिए कष्टकारी, तुला राशि वालों के लिए दांपत्य जीवन में कष्ट, वृश्चिक राशि वालों के लिए सुखकारक, धनु के लिए चिंताग्रस्त, मकर राशि के लिए कष्टकारी, कुंभ राशि के लिए धनलाभ वाला और मीन राशि वाले जातकों को हानि उठानी पड़ सकती है।

मान्यता के अनुसार ग्रहण के सूतक काल में बच्चों, बीमार, वृद्धों को खाने की छूट है, किन्तु ग्रहण काल में खाना पूर्णतया निषेध बताया गया है। उन्होंने बताया कि ग्रहण काल में भगवन नाम जाप, दान-पुण्य आदि कर्म करना श्रेष्यकर होगा। खासकर जिन जातकों की राशि पर ग्रहण का दुष्प्रभाव है उन्हें ग्रहण काल में जप, ध्यान व दान आदि करना चाहिए।

चंद्र ग्रहण 2022 पर राहु– केतु के प्रभाव से बचने का उपाय

धार्मिक मान्यता है कि चंद्र ग्रहण के दौरान राहु और केतु का प्रभाव अधिक प्रभावशाली हो जाता है. ऐसे में इनके दुष्प्रभाव से बचने के लिए नीचे दिए गए उपाय बेहद लाभप्रद होंगे.

करे गुरु मंत्र का जाप: चंद्र ग्रहण के दौरान बुरे प्रभावों से बचाव के लिए गुरु मंत्र का जाप करना फायदेमंद होता है.

गुरु मंत्र : ‘ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:’का जाप करें.

करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप: चंद्र ग्रहण के दौरान लोगों को महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए. मान्यता है कि इस दौरान राहु और केतु के प्रभाव से बचाव के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप बेहद लाभकारी साबित होता है.

महामृत्युंजय मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

राहुकेतु के प्रभाव से बचने के मंत्र : शास्त्रों के अनुसार राहु-केतु की बुरी दृष्टि पड़ने पर व्यक्ति के जीवन में अस्थिरता आ जाती है. इसके लिए ग्रहण के दौरान राहु और केतु के प्रभाव से बचाव के लिए नीचे लिखे मंत्र का जाप अवश्य करें.

मंत्र: तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन। हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥

तुलसी के पत्ता का सेवन : धर्म ग्रंथों के अनुसार, चंद्रग्रहण के दौरान तुलसी के पत्ता का सेवन करना चाहिए. तुलसी का पत्ता मुख मने डाल लें. यह फायदेमंद होता है.

बगलामुखी मंत्र : धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति पर पड़ने वाली नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है तथा शत्रुओं से मुक्ति मिलती है. शत्रु पर विजय पाने के लिए चंद्र ग्रहण के दौरान इस मंत्र का जाप करें. यह मंत्र कम से कम एक माला जरूर जपें.

मंत्र: ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्लीं ओम् स्वाहा।।

 

नोट:- यहां जानकारी सिर्फ मान्यताओं पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि navaltimes.in इन किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।