संजीव शर्मा एनटीन्यूज़: वन अनुसन्धान संस्थान, देहरादून में यू.एन.डी.पी. एवं उत्तराखंड वन विभाग के सहयोग से गंगोत्री – गोविन्द एवं दारमा – ब्याँस घाटी के स्थानीय निवासियों के लिये पैरा – टेक्सोनोमी विषय पर दिनांक 25-10-2021से 29-10-2021 तक के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला प्रारंभ।
कार्यशाला में हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों से आये 25 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री आर. पी. सिंह, भा. व. से., प्रभाग प्रमुख, वन संवर्धन एवं प्रबंधन प्रभाग ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया एवं प्रतिभागियों को दुर्गम हिमालय क्षेत्र की पारिस्थितिकी में उनकी जिम्मेदारियों एवं अधिकारों से अवगत कराया। साथ ही, हिम तेंदुए का ऊपरी हिमालय क्षेत्र की पारिस्थितिकी में योगदान पर जोर दिया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री रंजन कुमार मिश्रा, भा. व. से., अपर प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) एवं नोडल अधिकारी, ने कहा कि पैरा-टेक्सोनोमिस्ट का जैव- विविधता संरक्षण में वही योगदान है, जैसा कि पैरा – मिलिट्री का देश की सुरक्षा के लिए है।
कार्यक्रम के आयोजक वन वनस्पति विज्ञान प्रभाग के प्रभाग प्रमुख डॉ. अनूप चंद्रा ने पैरा टेक्सोनोमी, हिमालय में पाए जाने वाले औषधीय पौधे और उनकी संकटग्रस्त स्थिति पर बात की। उन्होंने आगे बताया कि प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान पौधे संग्रह की विधि एवं हर्बेरियम का महत्व, मशरूम की विविधताएं तथा उनसे पौधों में होने वाले रोग, कीटों, तितलियों इत्यादि की विभिन्न प्रजातियां एवं उनका पादपों से सम्बन्ध तथा पौधों की नर्सरी तकनीकों एवं एवं जैव विविधता रजिस्टर आदि विषयों का प्रशिक्षण दिया जायेगा।
उन्होंने बताया की किस प्रकार यह प्रशिक्षण न सिर्फ जीविका उपार्जन में सहायक होगा अपितु जैव विविधता संरक्षण में भी लाभदायक सिद्ध होगा। श्रीमती अपर्णा पांडेय, राज्य परियोजना अधिकारी, यू.एन.डी.पी. सिक्योर हिमालय परियोजना, ने इस कार्यक्रम के विभिन्न पहलुओं का संक्षिप्त में वर्णन किया।
इस अवसर पर, पूर्व में आयोजित कार्यशालाओं से प्रशिक्षित लोगों की सफलता की कहानी पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया गया।