उत्तराखंड सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम बोर्ड भंग करने को लेकर घोषणा की है।
सीएम धामी ने ट्वीट कर अपनी भावनाओं से आम जनता को अवगत कराया तथा देवस्थानम बोर्ड के फैसले को वापस लेने की बात कही।
देवस्थानम बोर्ड का गठन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था, जिसके तहत मंदिरों का अधिकार इस बोर्ड के अधीन हो गया था, लेकिन तीर्थ पुरोहितों और पंडा समाज की मांग को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के फैसले को धामी सरकार ने पलटते हुए देवस्थानम बोर्ड भंग कर दिया है।
बोर्ड के भंग की घोषणा के बाद ऋषिकेश के भगवान आश्रम में तीर्थपुरोहितों ने उत्साह मनाया और कहा कि अभी घोषणा हुई हैं। जैसे ही कैबिनेट में बोर्ड पूर्ण रूप से भंग होगा। पुरोहित और पंडा समाज धूमधाम से उत्सव मनाएगा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया है। इस बोर्ड का लंबे समय से विरोध हो रहा था और तीर्थ-पुरोहित इसे भंग करने की मांग पर आंदोलन कर रहे थे। माना जाता है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी साधु-संतों की नाराजगी की वजह से ही चली गई थी।
बतातें चलें कि देवस्थानम बोर्ड का गठन जनवरी 2020 में तब के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था। इस बोर्ड के गठन के जरिए 51 मंदिरों का नियंत्रण राज्य सरकार के पास आ गया था। उत्तराखंड में केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ चार धाम हैं। इन चारों धामों का नियंत्रण भी सरकार के पास आ गया था। तब से ही तीर्थ-पुरोहित इस फैसले को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए थे।
इसी साल जुलाई में पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। उन्होंने तीर्थ-पुरोहितों की मांग पर एक कमेटी का गठन किया था और उसकी रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेने का वादा किया था।मुख्यमंत्री धामी ने 30 अक्टूबर तक फैसला लेना का वादा किया था लेकिन इसमें एक महीने देरी हो गई है।