एनटीन्यूज़: पूर्व काबीना मंत्री ने एम्स ऋषिकेश के डाक्टरों पर लगाया दुर्व्यवहार का आरोप ।

पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा नेता मोहन सिंह रावत गांववासी ने एम्स ऋषिकेश के डाक्टरों पर इलाज के दौरान दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया है। आरोप है कि सिफारिश के बावजूद उन्हें प्राइवेट वॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया गया।

जिससे नाराज होकर पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहन सिंह रावत ने इलाज बीच में छोड़ अपने मित्र के घर शरण ली। सुबह एम्स की पोल खोलने के लिए उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने आरोप लगाया कि स्वास्थ सेवाओं को लेकर लोगों की उम्मीदों पर एम्स खरा नहीं उतर रहा है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों विधायकों और सांसदों को बिगड़ती स्वास्थ सेवाओं की ओर ध्यान देने की जरूरत है।

उन्होंने बताया कि वह मामले में भारत सरकार को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा से अवगत कराएंगे, वहीं स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए भी मांग करेंगे। पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहन सिंह रावत ने बताया कि शनिवार की सुबह चक्कर आने और शुगर बढ़ने की वजह से वह राजधानी देहरादून से अपना इलाज कराने एम्स ऋषिकेश पहुंचे। इस दौरान इमरजेंसी में उन्हें भर्ती किया गया। कई ब्लड सैंपल टेस्ट के लेने के बाद डॉक्टरों ने उनको सिटी स्कैन कराने की सलाह दी। आरोप है कि सीटी स्कैन होने के बाद रिपोर्ट उनको 3 दिन में देने की बात कही गई।

उन्होंने सवाल खड़ा किया कि इमरजेंसी में भर्ती मरीज को यदि रिपोर्ट 3 दिन बाद मिलेगी तो उसका इलाज आखिर कैसे शुरू होगा?
उन्होंने कहा इमरजेंसी इलाज के दौरान उन्होंने अपने साथ मौजूद पत्नी के स्वास्थ्य का हवाला देते हुए प्राइवेट वॉर्ड उपलब्ध कराने की अपील की। डॉक्टर की सिफारिश के बावजूद उन्हें प्रशासन ने प्राइवेट वॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया। उन्हें जनरल वार्ड में भर्ती कर दिया गया।

जहां हार्ट की बीमारी से पीडि़त उनकी पत्नी को बैठने तक के लिए स्टूल नहीं मिला। बेड पर सर्दी के समय में ओढ़ने के लिए कंबल तक नहीं दिया गया। कहने के बाद भी एम्स स्टाफ ने उनकी नहीं सुनी। साथ ही उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। मजबूरी में उन्हें रात 10 बजे एम्स छोड़कर अपने मित्र के घर शरण लेनी पड़ी।

मामले में एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरिश मोहन थपलियाल ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है। डिस्चार्ज समरी देखने के बाद ही इस मामले में कुछ कहा जा सकता है।